लेफ्टिनेट जनरल नवीद मुख्तार के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के नए प्रमुख बनने के बाद भारत के मित्र राष्ट्र अफगानिस्तान की परेशानिया बढ़ सकतीहै.
हो सकता है आने वाले दिनों में अफ्गानिस्तान में आतंकी तालिबान की गतिविधियों में तेजी देखने को मिलें.
आपको बता दें कि पाकिस्तान अफ्गानिस्तान में भारत की बढ़ती गतिविधि से काफी परेशान है. उसे हर वक्त भय लगा रहता है कि भारत अफ्गानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान को अस्थिर कर सकता है.
पाक हुक्मरानों को आशंका है कि भारत न केवल अफ्गान सेना को ट्रेनिंग और हथियार दे रहा है बल्कि उसने यहां पर अपना खुफिया सैन्य बेस बना रखा है, जिसका इस्तेमाल वह भविष्य में पाकिस्तान के खिलाफ करेगा.
भारत से इसी भय के चलते जनरल बाजवा ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख का पद संभालने के बाद सबसे पहले खुफिया एजेंसी के प्रमुख पद पर लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार को नियुक्त किया है.
आपको बता दें जनरल नवीद मुख्तार को आईएसआई का प्रमुख चुनने के पीछे असल मकसद अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को रोकना है. जनरल नवीद मुख्तार अफ्गानिस्तान में भारत के प्रभाव को रोकने के लिए आक्रामक रणनीति के समर्थक समझे जाते हैं.
जनरल नवीद मुख्तार का मानना है कि काबुल में नई दिल्ली का प्रभाव करने के लिए पाकिस्तान को आक्रामक नीति अपनाने की जरूरत है.
विदेशी मामलों के जानकारों के मुताबिक जनरल नवीद मुख्तार ने करीब 5 साल पहले अफ्गान डाक्ट्रिन को लेकर लिखे अपने एक पेपर में इस बात की वकालत करते हुए कहा था कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने से पहले पाकिस्तान को वहां की सरकार में अपने विश्वस्त तालिबान के नरम धड़े को स्थापित करा देना चाहिए. ताकि इसकेजरिए अफ्गानिस्तान सरकार पर नियंत्रण किया जा सके.
बताते चलें कि यूएस आर्मी वॉर कॉलेज में स्टडी के दौरान जनरल नवीद मुख्तार ने अफगानिस्तान अल्टरनेटिव फ्यूचर्स ऐंड देअर इंप्लीकेशन टाइटल नाम से एक पेपर लिखा था.
इस पेपर में नवीद ने अफगानिस्तान में भारतीय प्रभाव को कम करने के लिए पाकिस्तान को जिन कदमों को उठाने की आवश्यकता पर बल दिया था, उसमें भारत का प्रभाव कम करने के लिए तालिबान के प्रयोग की बात कही थी।
नए पाक खुफिया प्रमुख का मानना है कि पाकिस्तान का भूत, वर्तमान और भविष्य अफगानिस्तान के साथ करीब से जुड़ा है. यदि अफ्गानिस्तान पर पाकिस्तान कानियंत्रण नहीं रहा तो भविष्य में पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पाकिस्तान को डर है कि भारत जिस प्रकार से अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है उसको देखते हुए अफ्गानिस्तान की सरकार में पिछले दरवाजे से तालिबान का प्रवेश करा कर पाकिस्तान के मुस्तकबिल की हिफाजत की जा सकती है.
यदि ऐसा नहीं किया गया वह दिन दूर नहीं जब भारत पाक के लिए अफ्गान सीमा से चुनौती पेश करेगा. भारत को रोकने के लिए पाक को यहां आक्रामक नीति अपनानेकी जरूरत है.
यही वजह है कि पाक के नए खुफिया प्रमुख के आने के बाद अफ्गानिस्तान को भी लगने लगा है कि पाकिस्तान उसके यहां भारत द्वारा चलाई जा रही विकास परियोजनाओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगा.
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