उच्चतम न्यायालय ने गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसे सर्च इंजन को आदेश दिया है कि 18 नवंबर से यदि उनकी साइट पर भारत में प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण संबंधी विज्ञापन नजर आए तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
इतना ही नहीं, न्यायालय ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इन वेबसाइट की निगरानी के लिये एक नोडल एजेन्सी नियुक्त करे.
अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा कि ये नोडल एजेन्सी इन सर्च इंजन को उनकी वेबसाइट पर ऐसे किसी भी विज्ञापन के बारे में सूचित करेगी और गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू की भारतीय शाखायें अपनी साइट पर ऐसे किसी भी विज्ञापन को नहीं दिखाएंगी जिससे प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण को बढ़ावा मिलता है.
यदि नोडल एजेंसी को ऐसा काई विज्ञापन नजर आता है तो वह संबधित वेबसाइट को सूचित करेगी और उनको 36 घंटे के अंदर इसको हटाना होगा.
न्यायालय का कहना है कि ये सर्च इंजन भारत में प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण के बारे में विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिये बाध्य हैं.
गौरतलब है कि इसके पूर्व न्यायालय सोशल नेटवर्किंग साइट पर बढ़ते पोर्न कंटेट को लेकर भी आदेश दे चुका है. न्यायालय ने इसके समाज पर पड़ते कुप्रभाव को को देखते हुए कई साइटों को बंद करने का आदेश दिया था. इतना ही नहीं, न्यायालय गूगल को भारत में टैक्स और सर्वर को लेकर भी आदेश दे चुका है.
वहीं, इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने देश में लिंग अनुपात में हो रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ‘लड़का होगा या लड़की’ जैसी जानकारी भारत में जरूरी नहीं है. लिंग अनुपात यहां गिरता जा रहा है ओर हम इसे लेकर चिंतित हैं.
न्यायालय ने कहा कि कानून के तहत जो कुछ भी प्रतिबंधित है, उसे इन वेबसाइट के माध्यम से चलने नहीं दिया जा सकता.
गूगल इंडिया प्रा लि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के आदेश पर अमल किया है और उसने ऐसे किसी भी विज्ञापन को अवरुद्ध करने के लिये कदम उठाये हैं.
वहीं, याचिकाकर्ता साबू मैथ्यू जॉर्ज के वकील संजय पारिख का कहना था कि न्यायालय के आदेश के बावजूद इन वेबसाइट पर लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापन देखे जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये सर्च इंजन वाणिज्यिक पहलू और सूचना की उपलब्ध की स्वतंत्रता का मुद्दा उठा रहे हैं.
केन्द्र की ओर से प्रस्तुत अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने बताया कि कानून की मंशा प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण से संबंधित किसी भी विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने की है और सर्च इंजन को इसे रोकने के लिए अपना ही तरीका खोजना होगा.
गौरतलब है कि न्यायालय साफ कह चुका है कि आप पैसा अर्जित कर रहे हैं या नहीं, इससे हमारा कोई सरोकार नहीं है.
गर्भधारण से पहले और प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण तकनीक कानून 1994 के अनुसार यदि कोई भी इसे बढ़ावा देता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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