प्रोफेसर जी डी अग्रवाल की मृत्यु से सिर्फ गंगा नदी ने ही अपने बेटे को नहीं खो दिया बल्कि उनकी मृत्यु से पूरे सम्पूर्ण भारत को एक बड़ी श्रति हुई है।
गंगा नदी को प्रदूषण रहित कराने के लिए बीते करीब 111 दिन से अनशन पर बैठे प्रोफेसर जी डी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सांनद का कार्डियक अरेस्ट के कारण बीते रविवार को निधन हो गया। 86 साल की उम्र में प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। लम्बें समय से अनशन पर बैठे प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था, जिसके बाद उनकी हालत और भी ज्यादा बिगड़ गई। उनकी हालात बिगड़ने के बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर ऋषिकेष के एम्स में भर्ती करवा दिया था, जहां शुक्रवार को उनकी मृत्यु हो गई।
आखिर कौन थे प्रोफेसर जी डी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सांनद
पर्यावरण विज्ञान प्रोफेसर जी डी अग्रवाल IIT कानपूर से सेवानिवृत प्रोफेसर थे, साथ ही वह राष्ट्रीय संरक्षण निर्देशालय के पूर्व सलाहाकार और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव होने के अलावा चित्रकुट में स्थित ग्रामोदय विश्वविद्धालय में बतौर अध्यापन और पानी व पर्यावरण इंजीनियर के बड़े प्रसिद्ध सलाहकार के रूप में विख्यात थे।
प्रोफेसर जी डी अग्रवाल ने कई वर्ष पूर्व अपनी रिटायरमेंट के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपनंद सरस्वती के प्रतिनित्व में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से संत की दीक्षा ग्रहण कर संन्यास ग्रहण कर लिया था।सन्यास ग्रहण करने के पश्चात वह स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद सरस्वती के रूप में जाने पहचाने लगे। इतना ही नहीं उन्हे गंगा नदी से इतना प्रेम था कि उन्होंने गंगा नदी को प्रदूषण रहित करने का बीड़ा उठाया था, जिसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी कई बार लिखित रूप में खत भेजकर इसके लिए सूचित भी किया था, लेकिन वहां से उन्हें कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए अपने अंतिम खत में तो उन्होंने प्रधानमंत्री को अमरण अनशन पर बैठने के बात भी कही थी, लेकिन फिर भी उन्हें वहां से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिसके बाद वह 22 जून 2018 से अमरण अनशन पर बैठ गए थे। मां गंगा नदी से उनके इस अटूट प्रेम भाव के चलते उन्हें ‘गांगापुत्र’ के नाम से भी जाना जाता था।
आखिर क्यों बैठे थे प्रोफेसर जीडी. अग्रवाल 111 दिन से अनशन पर
सन्यास ग्रहण करने का बाद से वह लगातार स्वच्छ अविरल गंगा के लिए अग्रसर रहते थे। उनका यह मानना था कि केन्द्र सरकार ने गंगा की सफाई का पूरा जिम्मा सरकारी अधिकारियों को दिया है, लेकिन सिर्फ सरकारी अधिकारियों के जिम्मे गंगा पूर्ण रूप से साफ नहीं हो सकती, बल्कि इसमें आम जनता की भी सहभागिता जरूरी है। अपने इस विचार को सम्पूर्ण रूप देने के लिए वह चाहते थे कि गंगा सफाई के लिए एक समिति का गठन किया जाए, जिसमें जन सहभागिता हो। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखे, लेकिन केन्द्र और उनके बीच इस मुद्दे को लेकर कभी कोई सहमति नहीं बनी।
गंगा नदी को अविरल कराने का हठ लिए प्रोफेसर जी डी अग्रवाल बीते 22 जून 2018 से हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम में आमरण अनशन पर बैठ गए थे। तब से वह अपने अंतिम समय तक अनशन पर बैठे रहे, इतना ही नहीं बीते मंगलवार से तो उन्होंने जल का भी त्याग कर दिया था। जिसके बाद उन्हें प्रशासन ने जबरन ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई
प्रोफेसर जी डी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सांनद की मृत्यु पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुख व्यक्त करते हुए कहा कि “श्री जीडी. अग्रवालजी के निधन से दुखी हूं… सीखने, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और विशेष रूप से गंगा की सफाई की दिशा में उनके जुनून के लिए उन्हें हमेशा स्मरण किया जायेगा… जीडी. अग्रवालको मेरी श्रद्धांजली”
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