कैंसर एक जानलेवा बीमारी है.
वैसे तो कैंसर का इलाज हो जाता है, लेकिन इलाज कराने के बावजूद भी कैंसर के मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाते हैं और उनकी मौत हो जाती है.
इसकी सबसे बड़ा कारण यह होता है कि इलाज के बाद भी शरीर से कैंसर जड़ खत्म नहीं हो पाता है. अगर वाकई में कैंसर रुपी जानलेवा बीमारी जड़ से खत्म करना है तो फिर गौमूत्र एक संजीवनी औषधि की तरह कार्य कर सकता है.
आइये जानते है कि कैसे गौमूत्र का सेवन कैंसर के रोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
गौमूत्र एक तरह का स्वर्ण क्षार होता है, जिसमें कई तरह की बीमारी से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है.
गौमूत्र का सेवन कैंसर का प्रभाव कम कर सकता है और धीरे-धीरे खत्म होते जाता है.
गौमूत्र से दवाओं का प्रभाव बढ़ता है और कैंसर से लड़ने शारीरिक क्षमता बढ़ती है.
गौमूत्र का सेवन कैंसर के संक्रमण को रोकने वाले प्रतिरोधक मोलेक्यूल की क्रियाशीलता को तीव्र करता है और कैंसर को शरीर में बढ़ने और फैलने से रोकता है .
गौमूत्र में कैंसर को रोकने वाले प्राकृतिक एजेंट टैक्सॉल (पैक्लीटैक्सेल) को क्रियाशील करने में सहायक होता है.
गौमूत्र स्तन कैंसर के सेल लाइन में मौजूद एमसीएफ-7 से लड़ने वाले पैक्लीटैक्सेल की तीव्रता को भी प्रभावी बनाता है.
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) में भी गौमूत्र को कैंसर के लिए सबसे उत्तम दवाई प्रमाणित
किया गया है.
गौमूत्र कैंसर ही नहीं बल्कि डायबिटीज के मरीज़ों के लिए भी फायदेमंद होता है.
कैंसर सेल को बढ़ने से रोकने के लिए कैंसर के मरीज को रोज़ सुबह खाली पेट गौमूत्र पिलाना चाहिए.
इस तरह से गौमूत्र का सेवन से केंसर में फायदा हो सकता है – केंसर की दवाई गौ मूत्र हो सकती है – गौमूत्र कैंसर के रोगियों के लिए संजीवनी औषधि की तरह काम करता है, साथ ही गौमूत्र का सेवन बिना किसी रोग के करने पर शरीर स्वास्थ और रोगमुक्त रहता है.