गणगौर उत्सव – बसंत के मौसम में होली के त्यौहार की धूम के साथ और भी कई त्यौहार है जो देश में अलग अलग जगह पर मनाये जाते हैं.
इन्ही में से एक है राजस्थानियों का गणगौर उत्सव. यह गणगौर उत्सव राजस्थानी विवाहित औरतों द्वारा मनाया जाता है और उनके लिए यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. करवाचौथ की तरह यह भी विवाहित औरतों के लिए एक बड़ा उत्सव होता है.
होली के त्यौहार के करीब १५ दिन बाद गणगौर त्यौहार, खासकर मारवाड़ी औरतों के बीच मनाया जाता है. राजस्थान के साथ ही इसकी धूम मध्य प्रदेश के कुछ भाग में भी होती है.
इस दिन गवर और इसर को पूजा जाता है. इन्हें एक तरह से शिव और पारवती का ही रूप माना जाता है. विवाहित औरतें अपनी सम्पन्न वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करती हैं और साथ ही कुंवारी लडकियां अच्छे पति की कामना के लिए पूजा करती हैं. पूजा में श्रृंगार की सारी सामग्री के साथ भोजन का भोग लगाया जाता है. गवर और इसर को दूल्हा एवं दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इसी के साथ कई तरह के अलग अलग लोक गीत भी गाये जाते हैं. गणगौर के कुछ दिन पूर्व से ही गवर और इसर की पिंडियों को तैयार किया जाता है.
जयपुर में इस त्यौहार के लिए कई दिनों से तैयारियां शुरू हो जाती है और साथ ही तीन दिन तक धूम-धाम से यह त्यौहार मनाया जाता है. इसमें अलग-अलग जगहों पर सवारियां भी निकलती हैं और साथ ही कई औरतें लोक गीत भी गाती हैं.
राजस्थान पर्यटन इस त्यौहार को ख़ास तवज्जो देता है और यही कारण है कि कई विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव में बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं और एक अलग प्रकार का तजुर्बा अपने साथ ले कर जाते हैं.
इस त्यौहार को सभी जगह पर बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है. सभी औरतें रंग-बिरंगी साड़ियाँ और पूरा श्रृंगार करके, साथ ही वहां की खास ओज़रिया साडी पहनकर पूजा करती हैं और साथ ही दुसरे उत्सव में भी शामिल होती हैं.
जब बात आती है इस गणगौर उत्सव के ख़ास व्यंजनों की तो मूंग के ढोकले और अंगूर के रायते का ख़ास भोग लगाया जाता है. और भी कई अलग अलग प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन जैसे खीर-पूरी भी बनाई जाती हैं.