गंगा सफाई अभियान – दिल्ली से तीन घंटे की दूरी में बसे हरिद्वार में बहती पवित्र गंगा नदी को साफ करने के लिए सरकार ने गंगा मंत्रालय भी बनाया हुआ है। लेकिन उसका परिणाम फिलहाल तो ढाक के पात है और अभी कोई खोज-खबर नहीं है कि गंगा नदी कब तक साफ हो पाएगी।
गंगा सफाई अभियान का काम वैसे ही चल रहा है जैसे कि हर सरकारी कार्यालयों का काम चलता है। सरकारी अधिकारी काम कर रहे हैं और गंगा नदी गंदी हो रही हैं। लेकिन सरकारी अधिकारियों के काम करने और गंगा नदी के गंदे होने के बीच में एक अच्छी खबर आई है कि झारखंड में गंगा नदी में से 55 टन कचड़ा निकाला गया है।
झारखंड में साफ की गई नदी
गंगा नदी देश की बड़ी नदियों में शामिल है। यह समुद्र में गिरने से पहले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरती है। इन पांच राज्यों से गुजरने के कारण ही इसका प्रवाह तंत्र काफी लंबा है और इन पांच राज्यों में से एक राज्य ने गंगा की सफाई की है। झारखंड का जमशेदपुर शहर स्वर्णरेखा नदी के किनारे बसा है और यही नदी गंगा नदी है।
गंगा सफाई अभियान – दिल्ली से काफी दूर
झारखंड पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। यह दिल्ली से 1,221.1 किमी है दूर है और ट्रेन से जाने में यहां 21 घंटे से लेकर 48 घंटे लगते हैं। यह आदिवासी बहुत राज्य है जहां आदिवासियों की अपना समाज और नियम है। लेकिन फिर भी यहां के लोगों में किसी विकसित राज्य से ज्यादा अधिक विकसित दिमाग है। क्योंकि यहां के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं और प्रकृति के साथ रहना पसंद करते हैं। इसलिए तो हाल ही में यहां के केवल 40 लोगों ने ही मिलकर गंगा नदी में से 55 टन कचड़ा निकाला है।
बछेंद्री पाल के नेतृत्व में हुआ यह सफाई काम
यह सफाई काम पर्वतारोही बछेंद्री पाल के नेतृत्व में हुआ है। बछेंद्री पाल देश की पहली महिला हैं जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ऐवरेस्ट फतह की है। इन्होंने 40 लोगों की टीम का नेतृत्व किया और गंगा की सफाई की।
एक महीने में की गंगा की सफाई
गंगा सफाई अभियान – गंगा सफाई के लिए अभियान चला रहीं पर्वतारोही बछेंद्री पाल के एक दल ने बीते एक महीने में इस पवित्र नदी में से 55 टन से अधिक कचरा और अपशिष्ट हटाने में सफलता हासिल की है। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट को फतह करने वाली इस पहली भारतीय महिला ने बताया कि उनके 40 सदस्यीय दल ने पाया कि हरिद्वार से पटना तक के 1500 किलोमीटर के रास्ते में गंगा प्रदूषित है। इस दल ने गंगा सफाई के लिए खुद जिम्मेदारी उठाई और ”मिशन गंगे” नाम से एक अभियान चलाया है।
पाल ने कहा, ‘‘ हमने हरिद्वार से पांच अक्टूबर से अपने एक महीने लंबे अभियान के तहत नदी से 55 टन कूड़ा और अपशिष्ट निकाला है।” पाल ने 1984 में एवरेस्ट पर फतह करने में सफलता हासिल की थी। उन्होंने बताया कि जो कचरा नदी से निकाला गया उसका निस्तारण संबंधित नगरपालिकाओं ने किया. ये दल इस अभियान में सात नगरों तक पहुंचा था। पाल ने कहा, ‘‘ स्कूल के बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को जागरूक करने में हमें अच्छा अनुभव मिला. ये लोग स्वच्छ गंगा की आवश्यकता को लेकर हर गंतव्य पर हमसे जुड़ गए थे।”
उन्होंने नदी को साफ करने के लिए गहन जागरूकता अभियान की वकालत करते हुये कहा कि केंद्र सरकार ने इस उद्देश्य के लिए पहले से ही कई उपाय किए हैं।
उनकी इस 40 सदस्यीय टीम में पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल भी शामिल हैं। अग्रवाल को ऐसी पहली भारतीय महिला होने का श्रेय प्राप्त है जिन्होंने दुनिया के सभी सातों महादवीप के पर्वत शिखरों पर चढ़ने में कामयाबी हासिल की है. उनके दल में हेमंत गुप्ता, बिनीता सोरेन भी शामिल हैं। उन्होंने आम लोगों से नदी को प्रदूषकों से मुक्त करने के लिए ‘श्रमदान’ (स्वैच्छिक कार्य) की अपील की। उनका दल बिजनौर, फर्रुखाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, बक्सर और पटना पहुंचा था। इस टीम में कार्यक्रम के प्रायोजक टाटा स्टील के 26 कर्मचारी भी शामिल थे।