लालबाग का राजा – महाराष्ट्र का लोकप्रिय गणेश उत्सव 13 सितंबर से शुरू हो रहा है.
10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की पूरे राज्य में खूब धूम रहती है. खासतौर पर पर मुंबई में इस दौरान गणपति पंडालों में खूब भीड़ जुटती है. वैसे तो मुंबई में कई मशहूर सार्वजनिक गणेश मंडल हैं, लेकिन इसमे सबसे मशहूर है लाल बाग के राजा. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या खासियत है लाल बाग के राजा की.
लालबाग का राजा – गणपति बहुत मशहूर हैं. लोग इन्हें मन्नत के गणपति भी कहते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यहां आकर गणपति से मांगने पर वो आपकी सभी मुरादे पूरी कर देते हैं. लालबाग का राजा गणपति कितने लोकप्रिय है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां 20 से 25 करोड़ का चढ़ावा चढ़ता है.
10 दिनों तक सेलिब्रिटी से लेकर आम लोग तक लाल बाग के राजा के दर्शनों के लिए आते हैं. 11 दिन गणपति को भव्य विदाई दी जाती है.
लाल बाग के राजा को मन्नत के गणपति इसलिए कहते हैं क्योंकि आज जिस जगह पर लालबाग का राजा विराजमान हैं, उस जगह पर अंग्रेजों के जमाने में मिल मजदूर रहते थे. साल 1930 में विकास के नाम पर उनको विस्थापित किया गया. ऐसे में उन लोगों ने मन्नत रखी कि अगर उनके सिर की छत बची रही तो वो गणपति की प्रतिमा स्थापित करेंगे. गणपति ने उनकी मन्नत मान ली. कॉलोनी के लोगों को नई जगह पर नया आशियाना मिला और उसी समय गणपति को मिला एक नया नाम. मन्नत के गणपति.
लालबाग के राजा के दरबार में लगनेवाली लंबी लाइन की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. यहां दो तरह की कतार लगती है. एक केवल राजा के दर्शन के लिए, दूसरी कतार मन्नत की कतार. आपको बता दें कि बाकी गणपति की तरह लाल बाग के राजा का रंग रूप हर साल नहीं बदलता.
1932 से लेकर 1989 तक गणेश प्रतिमा का रूप रंग बदलता रहा लेकिन साल 1990 से गणपति का रंग रूप नहीं बदला है. गणपति की इस प्रतिमा की एक और खासियत यह है कि इसे बाहर से नहीं खऱीदा जाता, बल्कि प्रतिमा वहीं बनाई जाती हैं जहां पर वो स्थापित होती है. लालबाग के दरबार में चढ़नेवाला चढ़ावा भी हर साल सुर्खियों में छाया रहता है.
साल 2015 में यहां पर 8 करोड़ 34 लाख का चढ़ावा चढा था. साल 2014 में 6 करोड़ 90 लाख नगद चढ़ा था, वहीं 6 किलो सोना का चढ़ावा चढ़ा था. साल 2013 में करीब 7 करोड़ का चढ़ावा आया था तो साल 2011 में 8 करोड़. एक अनुमान के मुताबिक हर साल यहां पर 50 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं.
लालबाग का राजा – पिछले कुछ सालों से लाल बाग के राजा की सेवा में लगे स्वयंसेवको के मीडिया से बदसलूकी की खबरें आई थी, जिसके बाद मीडिया ने लालबाग का राजा का बायकॉट भी किया, लेकिन इससे आम लोगों की भगवान में आस्था ज़रा भी कम नहीं हुई, लोग बप्पा से मिलने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं.