विघ्नहर्ता गणेशजी – विघ्नहर्ता, प्रथमपूज्य, एकदन्त भगवान गणेश को ऐसे कईं नामों से जाना जाता है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत करनी हो या फिर किसी विघ्न को दूर करने की प्रार्थना करनी हो, गजानन सबसे पहले याद आते हैं।
कोई भी सिध्दि हो या साधना, विघ्नहर्ता गणेशजी के बिना सम्पूर्ण नहीं मानी जाती। गणेश जी के जन्म से लेकर उनके प्रथम पूज्य बनने तक कईं कहानियां प्रचलित हैं। भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
यहां हम आपको विघ्नहर्ता गणेशजी से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे।
विघ्नहर्ता गणेशजी से जुडी बातें –
1- इस तरह हुआ था गणेश जी का जन्म- भगवान गणेश जी की रचना मां पार्वती ने अपने मैल से की थी। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती की सखियों ने उन्हे ये सलाह दी थी कि उन्हे भी एक ऐसी रचना करनी चाहिए जो सिर्फ उनकी आज्ञा का पालन करें जैसे नंदी और सभी गण महादेव की आज्ञा मानते हैं। यही सोचकर, पार्वती ने गणेश का सृजन किया था।
2- गणपति के शरीर का ये है रंग- श्री गणेश का शरीर पुराणों में हरे और लाल रंग का वर्णित किया गया है। इसमें लाल रंग शक्ति और हरा रंग दर्शता है।
3- इस दिन हुआ था जन्म- गजानन का जन्म भाद्रप्रद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसी को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है।
4- गणेश जी के सिर कटने की पीछे थी ये वजहें- पुराणों के अनुसार, श्री गणेश का सर कटने के पीछे भी एक कारण था, दरअसल, जब सभी देवता गणपति को आशीर्वाद दे रहे थे तब शनि देव नीचे की ओर देख रहे थे। माता पार्वती ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होने कहा कि मेरे देखने से आपके पुत्र का अहित हो सकता है और जब माता पार्वती के कहने पर गणेश जी ने ऊपर की ओर देखा , उसके कुछ देर बाद ही उनके सिर कटने की घटना घटी।
5- सिर कटने के पीछे था ये श्राप- कथाओं में इस बात का ज़िक्र है कि एक बार किसी कारणवश भगवान शिव ने सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया था और जब सूर्य के पिता कश्यप ने ये देखा तो उन्होने शिव जी को श्राप दिया था कि जिस प्रकार तुम्हार त्रिशूल से मेरे पुत्र का सिर कटा है उसी तरह तुम्हारे त्रिशूल से तुम्हारे पुत्र का सिर भी कटेगा, इसी श्राप के फलस्वरूप ऐसा हुआ था।
6- गजानन ऐसे बने एकदंत- ऐसा कहा जाता है कि एक बार परशुराम शिव जी से मिलने कैलाश आए थे जहां शिव जी के ध्यानमग्न होने की वजह से गणेश ने परशुराम को उनसे मिलने से मना किया, इसी बात से क्रोधित होकर परशुराम ने उन पर अपने फरसे से वार किया और क्योकि ये फरसा शिव जी ने ही परशुराम को दिया था इसलिए गणेश जी ने इसका वार खाली नहीं जाने दिया और अपने दांत पर इसका प्रहार सहा, इसी वजह से उनका एक दांत टूट गया और उन्हे एकदंत कहा जाने लगा।
विघ्नहर्ता गणेशजी से जुड़ी ये कथाएं पढ़कर आपका मन आनंद से भर गया होगा, ऐसी हमें आशा है। गणेश चतुर्थी का पर्व आपके लिए ढ़ेरों खुशियां लेकर आए, ये हमारी कामना है।