पाकिस्तान में गांधीजी की वैल्यू – विभाजन के पांच महीने बाद देश के राष्ट्रपित गांधी जी ने पाकिस्तान जाने की रट लगा रखी थी।
उनका कहना था कि उन्हें पाकिस्तान जाकर कुछ काम निपटाने हैं। उस समय गांधी जी ने कहा था कि वे बिना वीज़ा और पासर्पोट के पाकिस्तान जाएंगें क्योंकि वो उनका ही देश है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस देश को गांधी जी अपना कहते थे उस देश में उन्हें किस नज़रों से देखा जाता है ?
पाकिस्तान की किताबों में पाकिस्तान में गांधीजी की वैल्यू ये है कि गाँधी जी को हिंदुओं के नेता के तौर पर जगह दी गई है। पाकिस्तान की किताबों में गांधी जी को बंटवारे का जिम्मेदार, हिंदुओं का पुजारी और हिंदुओं में गहरी आस्था रखने वाला कहा गया है। उन्हें पाकिस्तान में अल्लाह के कानून की जगह हिंदुओं के कानून वाला देश बनाने का पक्षधर बताया गया है।
पाकिस्तानियों का मानना है कि गांधी जी की वजह से मुस्लिमों को अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ाद होने के बाद हिंदुओं का गुलाम बनना पड़ता।
गांधी जी को मुसलमानों की सच्ची आज़ादी का विरोधी कहा जाता है। पाकिस्तान में गांधी जी को ऐसे ही खलनायक की उपाधि दी गई है। पाकिस्तान में इतिहास के नाम पर किताबों में गांधी जी के बारे में यही सब पढ़ाया जाता है।
आपको बता दें कि दुनिया में पाकिस्तान ही केवल एकमात्र ऐसा देश है जहां गांधी जी को संत नहीं माना जाता है। वहां पर सबसे ऊंचे सरकारी महकमों से लेकर छोटे पत्रकार तक गांधी जी को पाखंडी मानते हैं। ऐसा शख्स जो भारत की आज़ादी के बाद वहां रहने वाले मुसलमानों के ऊपर हिंदुओं का राज कायम करना चाहता था।
ये है पाकिस्तान में गांधीजी की वैल्यू – पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना के बयान से आपको पता चलेगा कि पाकिस्तानियों के अनुसार गांधी जी ने सिर्फ हिंदुओं की आज़ादी के लिए ही आंदोलन किए थे। 1947 से लेकर अब तक पाकिस्तान में गांधी जी की यही पहचान बनी हुई है।