महात्मा गाँधीजी का आदर भारत के जितने लोग करते हैं, उससे अधिक लोग महात्मा गांधी की निंदा भी करते हैं.
कोई कहता है महात्मा गांधी भगत सिंह को नहीं बचा सके तो कोई बोलता है कि महात्मा गांधी अश्लील थे. महात्मा की निंदा और आलोचना सबसे अधिक उनके सेक्स और ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर होती है.
आज हम आपसे महात्मा गाँधीजी के तीन मुख्य प्रयोगों की बात करने करने वाले हैं.
आज आप यह समझ जायेंगे कि महात्मा गाँधीजी वाकई काफी बहादुर भी थे-
1. राज कमल प्रकाशन से प्रकाशित किशन पटनायक की पुस्तक विकल्पहीन नही है दुनिया के पृष्ठ संख्या 101 में गांधी और स्त्री में बताया गया है कि महात्मा गांधी कई स्त्रियों को चिट्ठिया लिखा करते थे. किन्तु यह पत्र गाँधीजी कभी किसी से छुपाते नहीं थे. इस बात को कोई भी नहीं बोलता है. यदि गाँधीजी का सत्य झूठा होता तो वह इनको सबसे छुपा सकते थे.
2. इस पुस्तक में पदमजा नायडू जी के बारें में बताया गया है कि महात्मा गांधी और पदमजी नायडू एक दूसरे से प्यार करते थे. खुद महात्मा गाँधीजी सबसे सामने पत्र में स्वीकार करते हैं कि हाँ वह पदमजा नायडू से प्रेम करते हैं. महात्मा गाँधीजी ने अपने सत्य का जो व्रत है वह यहाँ भी नहीं तोड़ा है.
3. सत्य के साथ प्रयोगों में महात्मा गाँधीजी ने अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोगों के बारें में भी बताया है. एक व्यक्ति अपने जीवन की कमजोरियों को सबसे सामने बता रहा है और खुद बता रहा है किन्तु आप उसको बहादुर नहीं बोल रहे हैं. आप असल में कायर हो कि इस व्यक्ति को आप बहादुर नहीं बोल पा रहे हो.
4. मैने अपने-आप से पूछा, मुझे अपनी पत्नी के साथ कैसा सम्बन्ध रखना चाहिये. पत्नी को विषय-भोग का वाहन बनाने मे पत्नी के प्रति वफादारी कहाँ रहती हैं ? जब तक मैं विषय-वासना के अधीन रहता हूँ, तब तक तो मेरी वफादारी का मूल्य साधारण ही माना जायगा. यहाँ मुझे यह कहना ही चाहिये कि हमारे आपस के सम्बन्ध मे पत्नी की ओर से कभी आक्रमण हुआ ही नहीं. इस दृष्टि से जब मैं चाहता तभी मेरे लिए ब्रह्मचर्य का पालन सुलभ था. मेरी अशक्ति अथवा आशक्ति ही मुझे रोक रही थी.
यह बात महात्मा गांधी जी खुलकर सत्य के साथ प्रयोग नामक पुस्तक में लिखते हैं. क्या आप ऐसी बातें किताब में लिख पाओगे? जवाब खुद से पूछ लीजिये.
5. ब्रह्मचर्य के प्रयोग पर महात्मा गाँधी खुद लिखते हैं कि स्वयं पर काबू पाना मुश्किल होता था. रात को सोते समय काम वासना सताती थी और तब रात को मैं तब तक नहीं सोता था जब तक पूरी तरह से थककर चूर न हो जाऊ. जब थक जाता था कार्य करते हुए तो तुरंत लेटते ही नींद आ जाती थी. यह बात वाकई गाँधीजी ने शानदार कहीं है. यह व्यक्ति कितना सच्चा था किन्तु इस महान व्यक्ति को दिमाग खोलकर हम पढ़ ही नहीं पाए हैं.
6. अपने आश्रम में महात्मा गाँधीजी ने ब्रह्मचर्य के प्रयोगों में निवस्त्र सोने की बात कही है. किन्तु भारतीय लोग इसको गलत समझ लेते हैं. जो लोग गाँधीजी की आलोचना करते हैं वह एकबार एक तरह का प्रयोग करें और फिर सबको इस तरह के प्रयोग के वाकिफ भी कराएँ. तब आपको हिम्मत का ज्ञान होगा.
7. असल में महात्मा गाँधी सत्य की कसौटी पर पूरी तरह से खरे उतरते हुए नजर आते हैं. जीवन में हर बात पर सत्य ही कहना यह गाँधीजी की पहचान बन गयी थी. सत्य के कारण ही महात्मा गांधी ने अपने निजी पलों को भी सबसे सामने खोलकर रख दिया था.
ये है गाँधीजी के प्रयोग – तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि महात्मा गांधी कितने बहादुर थे और ऐसा व्यक्ति आज के समय में नहीं मिल सकता है. इस व्यक्ति को जितना नमन किया जाये वह उसके लिए कम ही होगा. बस आज जरूरत है महात्मा गांधी को दिमाग और दिल दोनों से पढ़ा जाये.
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