2. इस पुस्तक में पदमजा नायडू जी के बारें में बताया गया है कि महात्मा गांधी और पदमजी नायडू एक दूसरे से प्यार करते थे. खुद महात्मा गाँधीजी सबसे सामने पत्र में स्वीकार करते हैं कि हाँ वह पदमजा नायडू से प्रेम करते हैं. महात्मा गाँधीजी ने अपने सत्य का जो व्रत है वह यहाँ भी नहीं तोड़ा है.