आजादी का सबसे बड़ा गम आज तक उन लोगों को अधिक रहा है जो लोग 47 में पाकिस्तान के अन्दर थे.
हिन्दुओं के गाँव के गाँव विभाजन में खाली हो गये थे. हजारों लोगों को अपना घर और व्यवसाय छोड़कर भारत आना पड़ा था. अपने जमे-जमाये काम को छोड़ भारत आना वाकई उन हिन्दुओं के लिए पीड़ादायक रहा था जो तब के पाकिस्तान में रह रहे थे.
लेकिन आज सालों बाद भी एक सवाल का जवाब किसी को नहीं मिल पाया है कि क्या जो हिन्दू तब पाकिस्तान से भारत आ रहे थे, क्या उनको कोई सुरक्षा दी गयी थी?
महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु और अन्य किसी नेता ने उनकी हिफाजत का सोचा था?
इसका जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया है.
कुछ लोग यह भी बोलते हैं कि हिन्दुओं के उस कत्लेआम के पीछे गांधी जी का एक वादा भी जिम्मेदार रहा था जो उन्होंने लोगों से किया था. आपको याद हो कि उस समय गाँधी जी ने बोला था कि बँटवारा अगर होगा तो मेरी लाश पर होगा. इसका परिणाम क्या हुआ था यह आज आपको हम बताने वाले हैं-
तब पाकिस्तान के हिन्दू भारत आने की तैयारी कर रहे थे
अगर आप आजादी के समय की पुस्तकें पढ़ते हैं तो आपको पढ़ने को मिलेगा कि मई 1947 से पहले ही खबर आने लगी थी अब भारत का विभाजन होना निश्चित है. एक हिस्सा मुस्लिमों के लिए होगा, जो पाकिस्तान बोला जायेगा और हिन्दुओं के लिए भारत रहेगा. इस तरह की खबरें जब अख़बारों में छपने लगी थी तो पाकिस्तान के हिन्दुओं ने भारत आने की तैयारी कर ली थीं. हिन्दुओं ने अपने घर बेचने भी शुरू कर दिए थे और भारत आने की पूरी तैयारी कर ली थी.
आपको अगर इस खबर पुष्टि करनी हो तो आप उस समय के लेखकों के लेख भी पढ़ सकते हैं. आप वरिन्दर ग्रोवर के लेख पढ़ते हैं तो आपको इसके बारें में पूरी जानकारी प्राप्त होगी.
तभी मई 1947 में महात्मा गांधी का ब्यान आया
जब हिन्दू भारत आने की तैयारी कर रहे थे तभी गाँधीजी का बयान आता है – “अगर बंटवारा होगा तो वह मेरी लाश पर होगा…” गाँधीजी का बयान आते ही पाकिस्तान के हिन्दुओं को लगा कि अब भारत का विभाजन किसी भी हालत में नहीं होगा. गांधीजी की बात को कोई काट नहीं सकता था. हिन्दू भारत आना नकार देते हैं. तभी इस ब्यान के बाद जिन्ना पाकिस्तान में एक बड़ी प्रत्यक्ष कार्यवाही करता है और पाकिस्तान के मुसलमान हिन्दुओं को मारना शुरू कर देते हैं. जैसे ही पाकिस्तान से दंगे की खबर आती है तो गाँधीजी को लगता है कि अब हिन्दुओं को भारत बुलाना ही सही होगा.
तभी भारत के बंटवारे की घोषणा कर दी जाती है.
जो हिन्दू पहले ही भारत आ सकते थे वह दंगों में फँस जाते हैं.
मई 47 में जब गाँधीजी का बयान आया था तो उससे पहले ही हिन्दू भारत आ सकते थे. जैसे ही गाँधीजी का बयान आया तभी जिन्ना ने कत्लेआम करवाया था. इसके बाद क्या हुआ वह तो आप सभी को खबर होगी ही. हिन्दुओं की लाशों से भरी हुई ट्रेन भारत आ रही थीं.
तो कुलमिलाकर साफ़ हो जाता है कि गाँधीजी का बयान – “बटवारा मेरी लाश पर होगा…” यह एक गलत समय दिया गया ब्यान था. हिन्दू आराम से भारत आ सकते थे लेकिन जिन्ना का इरादा और उसकी नियति शायद गांधी जी पहचान नहीं पाए थे.