महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तो यहाँ आते ही गांधी जी समझ गये थे कि भारत देश के हालात तो दक्षिण अफ्रीका से भी खराब हैं.
भारत के लोग अपने अधिकारों के लिए भी नहीं लड़ पा रहे थे. समाज आपसी झगड़ों में ही उलझा हुआ था.
महात्मा गांधी ने भारत आगमन पर सबसे पहले भारतीयों को जोड़ने का काम शुरू किया और लोगों को अहिंसा का पाठ पढाना प्रारंभ किया. महात्मा गान्धी मानते थे कि गोला-बारूद भारत के लिए नहीं बना है. गोला-बारूद के आधार पर भारत को आजादी प्राप्त हो भी जाएगी तो उसके बाद सत्ता प्राप्ति के लिए भी इसी रास्ते का सहारा लिया जा सकता है. क्योकि तब भारत के लोगों को हिंसा के अलावा अन्य कोई रास्ता नजर ही नहीं आया करेगा.
आज हम आपको महात्मा गाँधी का एक और रूप दिखाने वाले हैं क्योकि आजतक हम सभी यही मानते आ रहे हैं कि गांधी जी ने अंग्रेजो को कभी कठोर शब्दों में कुछ नहीं बोला था-
जब गरमदल के लोगों ने गांधी का विरोध किया-
जैसा कि ज्ञात हो कि चंदशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी काफी पहले से ही भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहे थे. इनके इनके अनुसार गरमदल इन लोगों को जल्द से जल्द आजादी दिला सकता था. वैसे ऐसा हो भी सकता था. इन लोगों के बाद में जिन लोगों ने गरमदल को संभाला था वह हमेशा गांधी जी से शिकायत करते थे कि आप खुलकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करते हो. इस बात को गांधी जी हमेशा हंसी में ही टाल जाते थे.
गाय और सूअर का मांस के लिए एक बार अचानक गांधी ने अपने सुर बदल लिए
एक बार गांधी जी अचानक से ही अंग्रेजों के प्रति अपने सुर बदल देते हैं और अंग्रेजों से कहते हैं
“आप हमारे राजा हैं, इसमें हमको कोई द्वेष नहीं है. आप राजा जरूर हैं लेकिनं आपको प्रजा की भी सुननी होगी. हम आपकी सुने ऐसा नहीं होगा बल्कि आपको हमारी सुननी होगी. हमसे से आप हो ना कि आपसे हम हैं.
आप (अंग्रेज) आज तक भारत देश से जो धन ले गये, चलो कोई नहीं हो सकता है आपने वो पचा भी लिया हो, लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा. हमारे साथ अब व्यापार करने का लालच आपको छोड़ना ही होगा. अपनी सभ्यता को हम आपकी सभ्यता से कहीं ऊपर मानते हैं.
आपको ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए कि आपके किसी काम से हमारे धर्म को नुकसान पहुंचे. आपको भारत में भारतीयता को अपनाकर रहना होगा…”
गाय और सूअर का मांस के लिए अंत में गाँधी जी को काफी गुस्सा आ गया –
” जब गाँधी जी अंग्रेजों को यह सब सुना रहे थे तो अचानक से गाँधी अधिक आवेश में आ जाते हैं और बोलते हैं कि हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुए, आपको गाय और सूअर का मांस खाना छोड़ना होगा और इसी तरह से आप सूअर को खाकर मुस्लिमों का अपमान कर रहे हैं. आपको यहाँ रहना है तो आपको यह दोनों आदतें बदलनी होगी. हम गुलामी के कारण दब गये हैं इसलिए आपको आजतक कुछ बोल नहीं पाते हैं किन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि हम डर गये हैं…”
तो अंतिम वक्तव्य का अर्थ था कि
गांधी जी ने जिस तरह से अंग्रेजों को बोला है कि गाय और सूअर का मांस खाना बंद करो, उसको पढ़कर यही लगता है कि अंग्रेज भारत देश में काफी संख्या में गाय और सूअर खा रहे थे. असल में गाय और सूअर का प्रयोगकर अंग्रेज, हिन्दू-मुस्लिम एकता को खत्म करने के लिए कर रहे थे. गाय काटने के क़त्लखानों का प्रारंभ ही अंग्रेजों ने देश में किया था. गाय के कत्लखाने खोले गये और मुस्लिमों को दिये गये. ताकि हिन्दू अपना दुश्मन मुस्लिमों को समझने लगे.
तो कुलमिलाकर देखा जा सकता है कि महात्मा गांधी भी अंग्रेजों का कड़ा विरोध कर रहे थे किन्तु गाँधी जी को भारतीय इतिहास में कुछ लोग एक दबंग नेता की बजाय एक कमजोर नेता की तरह पेश करते हैं. असल में सच यह है कि गांधी जी के शब्दों का विरोध तो कभी अंग्रेज भी नहीं कर पाते थे.
तो आज के बाद आप गांधी की एक कमजोर नेता समझने की गलती भविष्य में कभी ना करें.
(सबूत के लिए आप लेखक अमित कुमार शर्मा की पुस्तक हिन्द स्वराज की प्रासंगिकता को पढ़ सकते हैं)
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…
दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…
सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…
कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…
दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…
वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…