महात्मा गांधी के बारें में एक बात सबसे ज्यादा विख्यात है कि वह कभी भी किसी की गलत बात की पैरवी नहीं करते थे.
अगर किसी व्यक्ति ने कुछ गलत बोला है तो महात्मा गांधी उस व्यक्ति को तभी और सभी के सामने ही रोक देते थे. गांधी जी की इसी खासियत की वजह से सभी नेता बहुत सोच-समझकर ब्यान दिया करते थे.
एक बार ऐसा ही कुछ पंडित जवाहरलाल नेहरु के साथ हुआ था.
नेहरु बड़े दम के साथ अपनी बात रख रहे थे और तभी महात्मा गाँधी ने उनको बीच में रोक दिया था.
तो आइये आज हम आपको इस पूरे किस्से से वाकिफ कराते हैं-
नेहरु तब भारत लौटे ही थे
यह बात उन दिनों की है जब जवाहरलाल नेहरु बस इण्डिया लौटे ही थे और वह तुरंत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन के लिए पहुच गये थे. जवाहरलाल नेहरु की पहल पर ही इस मद्रास अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया था. इस प्रस्ताव में पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता को भारतीयों का अंतिम उद्देश्य घोषित किया गया था. वैसे ऐसा पहली बार था कि कांग्रेस अधिवेशन में इस तरह का प्रस्ताव रखा गया हो.
इससे पहले भी गांधी जी की मौजूदगी में कई बार स्वतंत्रता प्रस्ताव रखा जाता था लेकिन हर बार कांग्रेस के बहुसंख्यक लोग यह बोलकर इसको अस्वीकार करते थे कि यह अभी परिपक्व नहीं है. जब नेहरु ने मद्रास अधिवेशन में पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखवाया था तो उस समय गांधी जी वहां मौजूद नहीं थे.
किन्तु कुछ ही समय बाद महात्मा गांधी जी पर इस प्रस्ताव की खबर पहुच गयी थी और साथ ही साथ इनको यह भी बता दिया गया था कि जवाहरलाल नेहरु ने इस प्रस्ताव को रखवाया है. तो अब महात्मा गांधी इस बात को समझ चुके थे कि नेहरु भारत की स्वतंत्रता के लिए बैचेन हैं और वह अपने समाजवादी तरीकों से कुछ करना चाहते हैं. अभी तक कोई भी कांग्रेस का नेता नेहरु का विरोध नहीं कर पा रहा था. यह बात कुछ सन 1927 की है. महात्मा जी जानते थे कि अभी देश आजादी के लिए तैयार नहीं है. यदि इस समय समाजवादी कोई आन्दोलन होता है तो जनता शायद हिंसा पर उतारू हो जाएगी.
तो मद्रास अधिवेशन के तुरंत बात गांधी लिखते हैं एक ख़त
(पुस्तक- जवाहरलाल नेहरु और उनके राजनैतिक विचार के पेज 30 पर इस पत्र का जिक्र किया गया है.)
यहाँ लिखा है कि महात्मा गाँधी नेहरु को पत्र में लिखते हैं- मुझे तुम्हारे (नेहरु) विचारों पर आशंका है. पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता का जो प्रस्ताव तुमने दिया है वह अभी परिपक्व नहीं है.
इस पत्र के तुरंत बाद यंग इंडिया में गांधी जी का एक लेख भी प्रकाशित हुआ. इसमें भी गांधी जी लिखते हैं- पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता का प्रस्ताव एक ऐसा प्रस्ताव है जो जल्दबाजी में लिखा गया है और उसे कांग्रेस ने बिना सोचे-समझे पास कर दिया है.
गांधी जी नेहरु के रेडिकलिज्म पर अति चिंतित थे. गांधी जी मानते थे यह एक ऐसी चीज है जो सबको अहिंसा से हटा देगी. गांधी जी ने नेहरु को यहाँ तक चेता दिया था कि वह समाजवाद से काफी प्रभावित हो रहे हैं और शरारती तत्वों को प्रोत्साहित कर रहे हैं.
तो इस पूरे घटनाक्रम से साबित होता है कि महात्मा गाँधी जी को भी नेहरु ने विचारों पर शक था क्योकि नेहरु शायद निजी फायदे के लिए किसी भी हालत में आजादी चाहते थे और नेहरु का निजी हित भी गांधी समझने लगे थे.
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