बिहार में चुनावी गर्मी बढ़ रही है और लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से चर्चा में हैं! वैसे बात बिहार की हो तो लालू जी की बात किये बिना कोई भी चर्चा अधूरी ही है|
बिहार की राजधानी पटना एक ज़माने में पाटलिपुत्र के नाम से जानी जाती थी और वो क्षेत्र शिक्षा का एक महान स्थल था! अब लालू जी को दोष दें या वहाँ की राजनीती को, अब तो बस बिहार अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा पाने को उत्सुक है! वो सपना पूरा होगा या नहीं, क्या पता, लेकिन लालू जी की कही इन बातों को पढ़ के आप ही फ़ैसला लीजिये कि ऐसा सपना देखना जायज़ भी है या नहीं?
1) जब तक समोसे में रहेगा आलू, बिहार में रहेगा लालू!
यार अब यह तो चुनावी नतीजे बताएँगे, फ़िलहाल समोसे खाइये, ख़ुश हो जाइए!
2) अगर हेमा मालिनी जी मेरी फ़ैन हैं तो मैं उनका एयर कंडीशनर हूँ!
चुनावों में तो फ़ैन और एयर कंडीशनर की लड़ाई होने वाली है भाई! दोनों विपरीत पार्टियों से हैं!
3) मैं बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों जैसा चिकना बना दूँगा!
वो तो हो नहीं पाया लालू जी, मगर आपके राजनैतिक जीवन में कई हज़ार खड्डे और खुद गए हैं!
4) गाय का दूध पूरी तरह से नहीं दूहोगे तो वो बीमार पड़ जायेगी!
यह बात उन्होंने भारतीय रेल के सिलसिले में कही थी जब वो रेल मंत्री थे! देख लीजिये, आज रेल वाक़ई बीमार है!
5) मैं इतनी मेहनत करता हूँ, अगर मुझे सभी ऐशोआराम नहीं मिले तो मैं पागल हो जाऊँगा!
शायद इसीलिए उन्हें जेल-यात्रा के दौरान भी सभी ऐशोआराम मुहैय्या कराये गए थे! सीखो सब उनसे कि कैसे की जाती है मेहनत चारा लूटने में, अपनी बीवी को मुख्यमंत्री बनाने में, अपने ही बच्चों को पार्टी टिकट देकर चुनाव लड़वाने में! मैं तो इतना बोलने में ही थक गया यार!
6) मेरी माँ ने हमेशा सिखाया था कि भैंस को पूंछ से कभी मत पकड़ना बल्कि उसके सींगों से उसे धर लेना! मैंने ये पाठ अपने जीवन में हर जगह इस्तेमाल किया है, यहाँ तक की भारतीय रेल पर भी!
पता नहीं रेल के कौन से इंजन या डब्बे को ऐसा पकड़ा था लालू जी ने कि अब रेल की सेहत ही पकड़ में नहीं आ रही!
7) भारतीय रेल भगवान विश्वकर्मा की ज़िम्मेदारी है! और यात्रियों की सुरक्षा भी उन्हीं के सर है! यह उनका कर्तव्य है, मेरा नहीं! मुझ पर तो ज़बरदस्ती यह दायित्व डाल दिया गया है!
हो सकता है इस बार जनता चुनावों में उन्हें फिर से हार का सामना करवा दे ताकि उन पर कोई भी किसी भी प्रकार का दायित्व ना डाल सके!
8) मैं क्यों बताऊँ कि मुझे (रेलवे के लिए) धन कहाँ से मिलेगा? अगर मैंने बता दिया तो निहित स्वार्थ वाले चौकन्ने हो जाएँगे!
सही बात है, ना सफ़ेद धन की जानकारी दीजिये, ना काले की! जनता का कोई हक़ थोड़े ही बनता है, है ना?
अब तो इंतज़ार है चुनावी रैलियों का ताकि लालू जी की गरमा-गर्म चटखारेदार बातें सुनने को मिल सकें! वो सत्ता में आने के बाद मज़े लेंगे, हम कम से कम पहले ही ले लें!, क्यों दोस्तों?
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