हम यहां बैठे-बैठे तो नहीं बता सकते कि आज से सौ साल बाद दुनिया कैसी होगी। लेकिन एक बात दावे के साथ कही जा सकती है। वो यह है कि तब तक ब्रह्मांड में एक नया ग्रह जन्म ले चुका होगा और वो होगा ‘इंजीनियरों का ग्रह’। अभी कुछ एक सालों में ही आपको ‘इंजीनियरों का देश’ देखने को मिल सकता है। अरे भई, इंजीनियर का दिमाग है ही इस काबिल।
इंजीनियर सड़कों पर बेरोजगार घूम रहे हैं, जैसी तमाम बातें तो होती रहती हैं। बावजूद इसके इंजीनियरिंग के लिए बेइंतहा मोहब्बत कभी कम नहीं हो सकती है। अब ये तो सभी जानते हैं कि शादी का लड्डू खाकर सब पछताते ही हैं। लेकिन इसे खाकर देखे बिना कोई रह नहीं पाता है। इंजीनियरिंग का मसला भी कुछ ऐसा ही है। जीवन को सफल बनाने के लिए एक बार तो इंजीनियरिंग कर ही लेनी चाहिए।
अब बात इंजीनियरों के दिमाग की करें तो इनकी तारीफ के लिए तो शब्द ही नहीं बने हैं। जो भी इंजीनियरिंग कर लेता है उसका दिमाग चीते से भी तेज दौड़ने लगता है। इंजीनियर हर दिन इनोवेशन करते हैं। फिर वो किसी लैब में हो या अपने घर पर।
आज आपको इंजीनियरों के ऐसे ही महान इनोवेशन देखने का मौका मिलने जा रहा है। आप भी अपने अंदर के इंजीनियर का दिमाग चालू करिए और खो जाइए इनकी मजेदार दुनिया में।
यह टॉयलेट बनाने में किसी सच्चे इंजीनियर का दिमाग लगा है।
आपको समझ नहीं आ रहा होगा, लेकिन इसके पीछे बड़ा लॉजिक है। जो लोग सुबह कसरत करने से कतराते हैं ये टॉयलेट खासतौर से उन्हीं के लिए तैयार किया गया है।
इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना
सभी चाहते हैं कि घरों में नए डिजाइन हो। सीढ़ियों के कई डिजाइन आपने देखे ही होंगे। यह भी ऐसा ही कुछ इनोवेटिव करने की महान कोशिश है।
इंजीनियर की सवारी
हमारे बचपन में तो साइकिल का बैलेंस बना रहे इसके लिए पीछे दो पहिए लगा दिए जाते थे। इन्होंने कुछ नया ही ट्राई किया है। मगर ये साइकिल चलेगी कैसे भला?
ये है काम का इनोवेशन
आज की जनरेशन ऐसे हाथ में ‘थैली’ लेना तो बिल्कुल पसंद नहीं करती है। ऐसे में कोई इंजीनियर ही अपनी बहन के लिए ऐसा कमाल का बैग बना सकता है।
समय थोड़ा खराब चल रहा है
कॉलेज प्रोजेक्ट्स के लिए इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स इतनी मेहनत से कई डायग्राम बनाते हैं। अब ये टैलेंट कहीं तो काम आना ही चाहिए। आप ही देखिए, कितनी कूल लग रही है यह घड़ी।
कार तो प्यार है साहब
इंजीनियर टूटकर मोहब्बत करना भी जानते हैं। उनके लिए कार में भी जान होती है। वो अपनी कार के टूटे दरवाजे के दर्द को बहुत अच्छे से समझते हैं। तभी तो मरहम-पट्टी कर दी।
पढ़ने का अनोखा तरीका
इंजीनियरों का तो पढ़ाई करने का तरीका भी सबसे अलग होता है। फिर जहां बैक पर बैक लगती हो, वहां इतनी आसानी से थोड़ी कोई टॉपर बन जाता है।
इसे कहते हैं जुगाड़
टेबल फैन तो सोते या बैठते वक्त ही काम आते हैं। अब किसी को खड़े रहकर काम करना होगा तो वो क्या करेगा? देखा, इंजीनियरों के पास हर समस्या का समाधान होता है।
इंजीनियर सिर्फ नई चीजें नहीं बनाते हैं। वो पुरानी चीजों को ठीक करना भी बहुत अच्छे से जानते हैं। आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो यह तस्वीर ही देख लीजिए। यह तरीका बिल्कुल किफायती भी है।
थोड़ा एडजस्ट कर लीजिए
जब एक क्लास में 100-200 स्टूडेंट्स के साथ 4 साल तक ठूंस-ठूंसकर बैठना पड़े तो यह समझ आ ही जाता है कि कम जगह में एडजस्ट कैसे होते हैं।
इन तस्वीरों को देखकर आप समझ ही गए होंगे कि इंजीनियरिंग कितना कुछ सिखा देती है। आप भी इन तस्वीरों को देखकर कुछ सीख लीजिए।