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इस शख्स की डाकू से महात्मा बनने तक की कहानी सुनकर आप दंग रह जाओगे!

कभी जिस शख्स के खौफ से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के लोग थरथराते थे आज वही शख्स महात्मा बनकर लोगो को प्रवचन दे रहा है।

ये बात सुनने में भले ही किसी पुरानी हिंदी फिल्म की स्टोरी लगे लेकिन ये सच है।

लगभग 100 से ज्यादा मर्डर करने वाला डाकू पंचम सिंह चौहान 550 डाकुओं का एकमात्र सरदार हुआ करता था। डाकू पंचम पर क़त्ल, डकैती और अपहरण के तीन सौ से ज्यादा केस थे और सरकार ने उस पर 1 करोड़ का ईनाम भी रखा हुआ था, लेकिन ये खूंखार डाकू पंचम आज संत भाई पंचम के नाम से जाने जाते है।

पंचम सिंह ने अपने डाकू जीवन पर खुद बात करते हुए बताया कि हमारा 550 डाकुओं का एक गिरोह हुआ करता था और मैं उस गिरोह का सरदार था।

हम अन्याय के खिलाफ लड़ते थे, अन्याय करने वाले कई लोगो की हमनें हत्याएं की थी। 

इसलिए बने थे डाकू –

चंबल के बीहड़ो में दहशत के रूप में कुख्यात पंचम भी कभी एक साधारण इंसान हुआ करते थे लेकिन जमीदारों ने पंचम की जिंदगी को नरक बना दिया था, उनके परिवार को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। तब अंत में पंचम को जुल्मों-सितम के खिलाफ बंदूक उठानी पड़ी, और इस तरह एक साधारण आदमी डाकू बन गया।

कानून के दवाब में आकार आत्मसमर्पण कर दिया-

फिर एक दिन कानून के दबाव में आकर हमने आत्मसमर्पण कर दिया, पंचम ने आगे बताया की 1972 में मुझे और मेरे साथियों को अदालत ने फांसी की सजा सुना दी थी। लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने राष्ट्रपति के पास फांसी की सजा माफ़ करने के लिये रहम कि अपील की और मेरी फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी गई। जबकि पंचम के साथियों को फांसी दे दी गई।

इस एक घटना ने बदल दिया पूरा जीवन –

जेल में रहते हुए पंचम की जिंदगी इस एक घटना के द्वारा बदल गई. दरअसल एक दिन प्रजापति ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दादी प्रकाश जैल आई हुई थी। तब उनकी प्रेरणा ने कैदी डाकू पंचम की जिंदगी बदल दी। दादी प्रकाश को इंदिरा गाँधी ने चुनौती दी थी कि डाकुओं का मन बदल कर दिखाएँ, तब दादीजी ने प्रेरित किया तो पंचम का मन बदल गया और पंचम फिर धर्म-कर्म और योग के रास्ते पर चल पड़े।

सरकार ने 8 साल में ही कर दिया रिहा –

उम्र कैद की सजा काट रहे डाकू पंचम की जिंदगी को दादी प्रकाश ने बदल कर रख दिया। बाद में उनके अच्छे स्वभाव के चलते पंचम को सरकार ने 8 साल में ही रिहा कर दिया, अब पंचम की जिंदगी का उद्देश्य बदल चूका था।

अब जेलों में देते है प्रवचन –

किसी ज़माने में खूंखार डाकू रहे पंचम आज राज योगी है और अब उनका मानना है कि मन मंदिर है और धन-दौलत सब मोह माया है। पंचम अब तक 25 राज्यों के 400 जेलों में प्रवचन दे चुके है। पंचम का मानना है कि आध्यत्मिक मार्ग से मानव बुराइयों से लड़ सकता है। आज पंचम 90 साल के है और एक योगी का जीवन व्यतित कर रहे है।

ये थी डाकू पंचम सिंह चौहान की कहानी जो किसी प्रेरणा से कम नही है। पंचम ने साबित कर दिया कि अगर सही रास्ते और मौके दिये जाये तो एक खूंखार कैदी भी संत बन सकता है।

Sudheer A Singh

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Sudheer A Singh

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