5) कभी-कभी ये डिसाईड करना बेहद मुश्किल हो जाता है कि कोई सीरियस कमिटमेंट किया जाए या नहीं , कभी कभी कोई इंसान किसी शख्स का दिल दुखाना नहीं चाहता है. इसलिए रिलेशनशिप में पड़ने के लिए सोचने का वक्त भी मिल जाता हैं. कभी-कभी ये फ्लर्टेशनशिप सीरियस रिलेशनशिप में भी बदल जाती है. या फिर बिना किसी कड़वाहट के खत्म भी हो जाती हैं.
कभी –कभी फ्रेंड्स एक बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के तौर पर कहलाना पसंद नहीं करते है और एक फ्रेंड के तौर पर अपने रिलेशन भी खत्म नहीं करना चाहते हैं. उसके लिए सबसे बेहतरीन ऑप्शन फर्लटेशनशिप से बेहतर और क्या हो सकता हैं भला, जिसमें ब्रेक-अप और रिलेशनशिप दोनों ही ऑप्शनल हो.