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भारत के 10 बड़े आंदोलन जो देश को आज़ादी दिलाने के लिए किए गए थे !

अंग्रेजों की गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़े भारत को आज़ाद कराने के लिए देशभर में कई आंदोलन चलाए गए.

भारत आज़ाद हो सके और यहां के लोग आज़ादी की खुली हवा में सांस ले सके, इसके लिए अनगिनत क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया.

आइए आज हम आपको बताते हैं भारत के 10 बड़े आंदोलन के बारे में, जिनकी बदौलत आज हमारा देश आज़ाद भारत कहलाता है.

1 – 1857 का संग्राम

सन 1857 के विद्रोह को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रुप में जाना जाता है. ब्रिटिश शासन के खिलाफ यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में चला. इस स्वाधीनता संग्राम में एक लाख से ऊपर क्रांतिकारी सैनिक मारे गए.

आज़ादी के इस पहले संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया और अपनी मातृभमि के लिए अपना बलिदान दिया.

2 – जलियांवाला बाग हत्याकांड

जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने अंधाधुंध गोलियां चलाई, जिसमें निहत्थे, बूढ़े, जवान, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों का नरसंहार किया गया था और हज़ारों लोग घायल हुए थे.

भारत की आज़ादी की लड़ाई इस हत्याकांड ने सबसे ज्यादा प्रभाव डाला था.

3 – असहयोग आंदोलन

सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया.

जलियांवाला बाग नरसंहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधीजी को लगा कि ब्रिटिश सरकार के हाथों उचित न्याय मिलने की कोई संभावना नहीं है इसलिए असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई.

4- चौरीचौरा कांड

1 फरवरी 1922 को चौरीचौरी कांड भारत के इतिहास का सबसे काला दिन साबित हुआ. जब इस दिन चौरीचौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी.

सत्याग्रहियों ने पुलिसवालों पर पथराव किया जिसके बाद पुलिस ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी और इस कांड में 260 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने थाने में बंद करके 23 पुलिसवालों को ज़िंदा जला दिया.

5 – नमक आंदोलन (दांडी यात्रा)

नमक आंदोलन के लिए महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा की शुरूआत की थी. बापू की 24 दिनों की यह यात्रा समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी जाकर खत्म हुई.

दांडी जाकर बापू ने औपनिवेशिक भारत में नमक बनाने के लिए अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था.

6 – काकोरी कांड

ब्रिटिश राज के खिलाफ ब़गावत करने की मंशा से भारत के क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार का ही ख़ज़ाना लूटने की योजना बनाई.

हथियार खरीदने के लिए इन क्रांतिकारियों ने 9 अगस्त 1925 को ट्रेन में डकैती की. इस डकैती से बरामद जर्मनी में बने चार माउज़र पिस्तौल इन क्रांतिकारियों ने काम में लाए गए थे.

7 – सविनय अवज्ञा आंदोलन

भारत की स्वाधीनता के लिए महात्मा गांधी ने 6 अप्रैल 1930 को सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ा. यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाए गए जन आंदोलन में से एक था.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में घोषणा कर दी थी कि उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है.

8 – स्वदेशी आंदोलन

स्वदेशी आंदोलन भारत को आज़ादी दिलाने के लिए किए गए आंदोलनो में से एक था.  इसे भारतीयों की सफल रणनीति के लिए भी जाना जाता है.

7 अगस्त सन 1905 को कलकत्ता के ‘टाउन हाल’ में ‘स्वदेशी आंदोलन’ की घोषणा की गई तथा ‘बहिष्कार प्रस्ताव’ पास किया गया.

9 – आज़ाद हिंद फौज का गठन

सन 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से आज़ाद कराने के लिए ‘आज़ाद हिंद फौज’ नाम की सशस्त्र सेना का संगठन किया गया.

हालांकि एक साल के अंदर ही सन 1942 के दिसंबर में आज़ाद हिंद फौज लगभग समाप्त हो गई थी जिसके बाद सन 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने इसे पुनर्जीवित किया.

10 – भारत छोड़ो आंदोलन

अगस्त क्रांति मैदान से 9 अगस्त 1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ों आंदोलन पूरे देश भर में शुरू हुआ.

भारत छोड़ो आंदोलन या अगस्त क्रांति आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन साबित हुआ. यह आज़ादी के लिए लड़ी गई आखिरी सबसे बड़ी लड़ाई थी जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाकर रख दिया था.

ज़रा सोचिए! देश में अगर इन आंदोलनों की बयार न चली होती तो हमारे देश को आज़ादी कैसे मिलती ?

ये सब सिर्फ उन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की वजह से मुमकिन हो सका है.

हमें अपने देश के नाम शहीद होनेवाले तमाम स्वतंत्रता सेनानियों पर गर्व करना चाहिए, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी लेकिन कभी अंग्रेजों के सामने हमारा और हमारे देश का सिर झुकने नहीं दिया.

Anita Ram

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Anita Ram

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