स्वतंत्रता संग्राम के वक़्त लोगों से रूबरू होने के लिए और लोगों तक अपने विचार पहुँचाने के साधन काफी सीमित थे. राष्ट्रीय एकता तथा लोगों को संग्राम के लिए उत्तेजित करने हेतु लोगों का मार्गदर्शन करना बहुत ज़रूरी था. लोग हमेशा अपने प्रिय नेता के विचार सुनने के लिए आतुर रहते थे. तब कविताओं को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया गया. जब इन महान व्यक्तियों का काम इतना उच्च स्तर का था तो सोचिये उन द्वारा रची हुई कवितायें कैसी होगी?
देखते हैं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के १० महान स्वंतंत्र सेनानी और महान कवि
गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर जी: भारत के स्वंतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्भुत रहा. वे हमारे राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ के लेखक भी हैं. इन्होंने हिंदी, संस्कृत, और बंगाली साहित्य में एक बड़ा योगदान दिया हैं.
स्वामी विवेकानंद जी: स्वामीजी का असल नाम नरेन्द्र नाथ दत्ता था. इन्होने दुनिया भर में जाकर भारत का डंका बजाया था. इन्होंने वेदांत और योग को यूरोप और अमेरिका में जा कर प्रसिद्ध किया था. अब इस बार जब विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाएगा, तब उसमें काफी श्रेय इनका भी है.
शहीद भगत सिंह : वे, ना जाने कितने युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं. आज भी जो लोग राष्ट्रहित में सेवा करना चाहते हैं, इन्हीं को अपना रोल मॉडल मानते हैं. इनकी कविताए जेल के दीवारों से सीधे हमारे दिल तक पहुची थीं.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक: इनके द्वारा रची हुई सभी कविताए मराठी में है. इन्हें पत्रकारिता का भी उंदा अनुभव हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे थे.
राम प्रसाद बिस्मिल जी: वे काकोरी साजिश के प्रमुक सूत्रधार रहे थे. आर्य समाज से भी उनका गहरा नाता रहा था और उसी से प्रेरणा प्राप्त करके इन्होंने राष्ट्र स्वंतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय योगदान दिया, वे हिंदी और उर्दू में लिखते थे
“है लिए हथियार दुश्मन ताक़ में बैठ उधर,
और हम तैयार है सीना लिए अपना इधर,
खून से खेलेंगे होली ग़र वतन मुश्किल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”
श्री बंकिम चन्द्र चटर्जी: वे हमारे राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ के कवि हैं. आज भी जब हम गर्वे से राष्ट्रीय गीत गाते हैं, माँ भारती का गुणगान करते हैं तो उसके लिए हमे इस महान व्यक्ति को श्रधांजलि देनी चाहिए.
सुब्रमनिया भारती जी: इनका जन्म तमिलनाडू के ग्रामीण इलाके में हुआ. सुब्रमनिया भारती जी नेशनल कांग्रेस के सदस्य थे तथा इन्होनें पत्रकारिता से भी देश सेवा की. जब वे बनारस की पावन भूमि पर गए, तब इनका भारतीय संस्कृति की आन, बान, शान से साक्षात्कार हुआ.
वीर सावरकर जी: विनायक दामोदर सावरकर, हिंदुत्व शब्द का नामकरण, इन्होनें ही किया था. अपने जीवन का अधिकांश समय इन्होनें जेल की दीवारों में ही व्यतीत किया था.
मोहम्मद इकबाल: “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा” आज भी जब हम इसे गुनगुनाते हैं तो हर हिन्दुस्तानी का मन प्रफुल्लित हो जाता है. इन्होनें आपसी भाईचारे के लिए बहुत संघर्ष किया था और साथ ही स्वतंत्र पाकिस्तान के प्रमुख विचारक थे.
सरोजिनी नायडू: हम प्रेम से इन्हें भारत की ‘नाईटइंगल’ कहते हैं. स्वतंत्रता संग्राम में वे पूज्य बापू की वरिष्ठ सहयोगी थीं. भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वह उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं.