सेहत और सुंदरता को बनाए रखने के लिए और उसको बरकरार रखने के लिए भला कोई कानून बनाता है?
लेकिन यह सच है. फ्रांस ने हाल ही में ऐसे एक कानून को पारित किया है. कुछ देशो में ऐसे कानून के सकारात्मक परिणामो को देखते हुए, इस निर्णय को लिया गया है. ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव आने वाले काल में चिंताजनक है. यह भी एक कारण है. धीरे धीरे विदेशो में इस तरह रूफ गार्डन को अनिवार्य कर रहे है.
इस लिए फ्रांस ने हाल ही में ग्रीन रूफ का कानून बनाया है.
क्या है फ़्रांस का ग्रीन रूफ कानून ?
ग्रीन कार्यकर्ताओं की मांग थी की सभी नई इमारतों की पूरी छत बगीचे में तबदील हो. लम्बे समय से चल रहे इस आन्दोलन को हालही में हरी झंडी मिली. किंतु सरकार ने केवल व्यावसायिक इमारतों पर छत बनाने के लिए मंजूरी अभी दी है.
इस कानून के मुताबिक़ व्यावसायिक इमारतों के आधे छत पर या तो बगीचा हो या फिर सोलर प्रणाली. मगर यह नए व्यावसायिक इमारतों पर लागू रहेगा.
और कौन से देश में है ऐसा कानून ?
२००९ में जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड ने व्यावसायिक इमारतों के साथ आवासीय भवनों पर भी यह कानून अनिवार्य किया है. जबकी संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यावसायिक इमारतों पर सौर पैनलों बिठाने का चलन तुल पकड़ रहा है.
भारत की बात करते है
वैसे तो भारत में ग्रीन रूफ का कोई कानून तो है नहीं. लेकिन पश्चिमी देशो की नक़ल से अछूते नहीं है। कुछ लोग इसे हेप्पनिंग ट्रेन्ड मानते है. ट्रेंड कोई भी हो उसके परिणाम अगर अच्छे ही तो वो बेहत शानदार बात है.
ऐसे ही शानदार ट्रेंड फ़ॉलो कर रहा है बंगलुरु शहर.
करीब २५%-३०% ग्रीन रूफ की मांग है इस शहर में.
ग्रीन रूफ के फायदे
ख़ास कर के महानगरों में जहा पेड़ पौधे बेहद कम होते है और बगीचे गीने चुने होते है.
ऐसे आबादी वाले शहरों में सीमेंट की बिल्डिंगो पर हरे बगीचे वातावरण में ताज़गी और शीतलता कायम करने में कारगर साबित हॊगे. बारीश के मौसम में छत पर गिरने वाली पानी को सहज जतन कर सकते है. गरमी और ठण्ड के मौसम में ईमारत को तेज़ी से ठंडा और शीतल करता है या रूफ बगीचा.
अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से बचाकर इमारतों की आयु बढ़ सकती है.
यह हरी छत आग प्रतिरोध की तौर पर फायदेमंद साबित होती है.
सौर पैनलों से नैसर्गिक बिजली मिलती है, इस उर्जा से सारी इलेक्ट्रोनिक वस्तुए चलती है. जैसे फैन, टीवी, एल ईडी वल्ब आदि.
ग्रीन रूफ के नुकसान
जहा फायदा है वहा नुकसान तो होता ही है. किंतु कौन सी चीज़ किसके मुकाबले ज्यादा है, यह जानकर ही फैसला करना योग्य होता है.
ग्रीन रूफ के तो फायदे बहुत है, लेकिन नुकसान अधिक नहीं.
अगर कोई उचित तरीके से ग्रीन रूफ बनाना चाहता है तो उस वास्तु की लागत अधिक रहेगी. ग्रीन रूफ के इमारतों को पहले से ही प्लान करके निर्माण करना होता है. छतों को जल और जड़ रोधक बनाने के लिए काफी खर्च करना पड़ता है. बारिश में गिरने वाला पानी छत पर एकत्रित ना होने के लिए एक अच्छी प्रणाली का उपयोग करना पड़ता है.
सौर पैनल मंहगे होते है किंतु सरकार इस पर सब्सिडी देती है.
ग्रीन रूफ का यह चलन वाकई में देश की सुंदरता बढाता है और लोगों की सेहत बरक़रार रखता है.
ऐसा कानून भले ना बने लेकिन सभी लोगों ने अगर इस तरह ग्रीन रूफ को प्राधान्य दिया तो काफी हद तक उनकी सेहत हमेशा अच्छी रहेगी और विश्व में एक अलग मुकाम हासिल करेंगे.
मुस्लिम लोगों में एक पुरुष वर्ग ऐसा है जो कि शुरू से ही नरेंद्र मोदी…
अजीत डोभाल को यह खबर थी कि मुस्लिम इलाकों में मस्जिदों से इस तरीके का…
ना सिर्फ पेट्रोल बम लोगों तक पहुंचाएं गए हैं बल्कि लोहे की रॉड और गुलेल,…
करावल नगर में ही 100 से ज्यादा वाहन जले हुए मिल रहे हैं लेकिन अंदर…
March 2020 horoscope: मार्च 2020 की शुरुआत होने वाली है और हर कोई जानना चाहता…
IND vs NZ: भारत और न्यूजीलैंड के बीच में शुरू हुआ दूसरा टेस्ट मैच पहले…