विदेशी जो हिंदी टैटू के दीवाने – हिंदी का बोलबाला पूरे विश्व में है।
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हिंदी भारत की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। लेकिन ये बात बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि हिंदी की लोकप्रियता विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है और कोई भी इससे अछूता नहीं है।
विदेशी सेलेब्रिटी भी हिंदी के दीवाने हैं और कई विदेशी सेलेब्रिटी अपने शरीर में हिंदी भाषा में टैटू बनवाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही विदेशी सेलेब्रिटी के बारे में बताएंगे जिन्होंने हिंदी में अपने शरीर में टैटू बनवाया है।
आइए जानते हैं कौन हैं वो विदेशी जो हिंदी टैटू के दीवाने है।
विदेशी जो हिंदी टैटू के दीवाने है –
1 – थियो वालकट:
आर्सनल की तरफ से फुटबॉल खेलने वाले थियो वालकट उन सेलेब्रिटी में आते हैं जिन्होंने हिंदी में अपने शरीर पर टैटू बनवाया है। वालकट ने अपनी पीठ पर हिंदी में ऊं नमः शिवाय लिखवाया हुआ है। वालकट ने जैसे ही हिंदी में अपने शरीर पर टैटू बनवाया वैसे ही वो चर्चा में आ गए और सोशल मीडिया पर उनके बारे में कई तरह की बातें की जाने लगीं। साथ ही वालकट का ये टैटू सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।
2 – डेविड बैकहम:
दुनिया के सबसे महान फुटबॉलरों में शुमार किए जाने वाले डेविड बैकहम भी उन विदेशी सेलेब्रिटी में हैं जिनका हिंदी प्रम किसी से छिपा नहीं है। बेकहम ने अपने बाएं हाथ में अपनी विक्टोरिया का नाम हिंदी में लिखवाया है। बैकहम इंग्लैंड के सबसे धाकड़ फुटबॉलर रहे हैं और उनकी लोकप्रियता दुनियाभर में हैं। बेकहम का भारत से खासा लगाव रहा है और भारत में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है।
3 – मारिया शारपोवा:
दुनिया की सबसे बेहतरीन टेनिस सनसनी मारिया शारापोवा भी उन विदेशी सेलेब्रिटी में आतीं हैं जिन्हें हिंदी से बेहद लगाव है। शारापावो ने अपनी गर्दन पर हिंदी में जीत लिखवा रखा है। आपको बता दें कि शारापोवा को दुनिया की सबसे खूबसूरत टेनिस प्लेयर भी कहा जाता है। हालांकि एक बार शारापोवा ने सचिन तेंदुलकर को पहचानने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद दुनियाभर में उनकी फजीहत हुई थी।
ये है विदेशी जो हिंदी टैटू के दीवाने है – ये काफी अच्छा है कि आज हिंदी को पूरे विश्व में अलग पहचान मिली है और दुनियाभर में हिंदी तेजी से फैल रही है। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। हर कोई जानता है कि भारत इस समय दुनिया के लिए सबसे बड़ा बाजार है और विदेशी इस बात को बखूबी जानते हैं कि अगर वो हिंदुस्तान में हिंदी का उपयोग करेंगे तो उन्हें व्यापार को और ज्यादा सफलता मिल सकती है।
हालांकि भारतीयों को भी ये समझना होगा कि वो हिंदी से दूर ना भागें। क्योंकि चीन में आज भी चीनी भाषा का ही उपयोग ही किया जाता है और वहां पर अंग्रेजी भाषा का अस्तित्व ना के बराबर ही है। ऐसे में भारतवासियों को भी अंग्रेजी के पीछे ना बागकर अपनी भाषा का ही सम्मान करना चाहिए।
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