यह खबर उनके लिए है जिनके परिवार में या जिनकी आने वाले दिनों में शादी होने वाली है.
यदि के परिवार में या घर में शादी है तो आप ये खबर एक बार जरूर पढ़ लें. हो सकता है कि आने वाले दिनों में ये आपके काम आए.
क्योंकि मोदी सरकार की नजर अब देश की बर्बादी के कारणों पर लगी हैं.
दरअसल, भारत में लोग शादियों में खाने की बर्बादी करते हैं. लेकिन अब सरकार शादियों में भोजन की बर्बादी और दिखावा रोकने के लिए कानून बनाने जा रही है.
इसके लिए कानून मंत्रालय ने खाने की बर्बादी को रोकने की पहल करने संबंधी निजी बिल को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की मंजूरी के लिए उनके पास भेज दिया है. जैसे ही इस बिल को राष्ट्रपति की हरी झंडी मिल जाएगी उसके बाद लोकसभा में यह निजी विधेयक चर्चा के लिए आ सकेगा.
बताते चलें कि बिहार से कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने शादियों में खाने की बर्बादी रोकने के साथ विवाह का पंजीकरण कानूनी रुप से अनिवार्य बनाने के लिए बीते साल इस निजी विधेयक को लोकसभा में पेश करने का प्रस्ताव रखा है.
उनका कहना है कि सामाजिक समारोहों खासकर शादियों में खाने की बर्बादी को रोकने को लेकर पिछले कई सालों से आवाज उठाई जाती रही है. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है.
जबकि कई आर्थिक-सामाजिक संगठनों ने अध्ययनों के आधार पर अनुमान लगाया है कि भारत में होने वाली अधिकांश शादियों में खाने की बर्बादी कम से कम 20 प्रतिशत से ज्यादा है.
बंगलुरू में करीब 5 पांच साल पहले भारत और अमेरिका के खाद्य व आर्थिक विशेषज्ञों की टीम शहर की शादियों में भोजन की बर्बादी का अध्ययन करने के दौरान कुछ इसी तरह के निष्कर्ष पर पहुंची थी. देश में एक तरफ गरीबी और जीवन यापन के लिए संघर्ष करते लोगों की चुनौतियां है तो दूसरी ओर मध्य वर्ग में सामाजिक दिखावे की बढ़ती प्रवृत्ति.
इसको देखते हुए ही रंजीत रंजन ने पिछले साल लोकसभा में इस निजी बिल को लाने का प्रस्ताव पेश किया था. प्रकिया के तहत कानून मंत्रालय ने इस बिल के प्रारूप को वैधानिक मानकों पर परखने के बाद पिछले हफ्ते इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है.
हालांकि निजी विधेयक लोकसभा में आकर पारित हो भी जाता है तो यह कानून का रुप नहीं ले सकेगा. क्योंकि सरकार जब तक ऐसा कोई बिल नहीं लाती तब तक इस दिशा में कोई कानून नहीं बन सकता.
आप को बता दें कि कांग्रेस सांसद ने अपने निजी बिल के इस प्रस्ताव में विवाह के पंजीकरण को भी कानूनी रुप से अनिवार्य बनाने का प्रावधान भी रखा है.
गौरतलब है कि यूपीए के तत्कालीन खाद्य मंत्री केवी थामस ने 2011 में ऐसे समारोहों में हजारों टन पका हुआ भोजन नष्ट होने को देखते हुए कानून बनाने के लिए पहल करने तक की घोषणा कर डाली थी.
मगर मेहमानों की संख्या को कानूनी रुप से नियंत्रित करने के संभावित विरोध को देखते उस समय इस पर आगे बढ़ना मुनासिब नहीं समझा गया.
लेकिन अब एक बार ये मामला फिर सरकार के सामने हैं. सरकार भी चाहती है कि इस पर सर्वसम्मति से कोई ऐसा कानून बने जिसके बाद देश में खाने की बर्बादी को रोका जा सके. और जो लोग सामाजिक दिखावे के नाम पर खाने की बर्बादी करते हैं उसको कानून के दायरे में लाया जा सके.
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