द फाउंटेनहेड
1943 में आयन रैंड का लिखा ये उपन्यास पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
आज भी इस किताब को उतने ही चाव से पढ़ा जाता है जितना उस समय.
इस किताब की खास बात ये है कि जैसे ये पुस्तक उस दौर में भी अपने समय की बात कहती थी वैसे ही आज भी ये आज के समय की बात कहती है. फाउंटेनहेड कहानी है हॉवर्ड रोर्क नाम के वास्तुकार (आर्किटेक्ट ) की. इस कहानी में बहुत से किरदार है और उन किरदारों की सबसे खास बात की पाठक किसी ना किसी किरदार से खुद को जोड़ लेते है. इस किताब की दूसरी सबसे खास बात ये है कि इसके किरदार भी आम लोगों जैसे ही है जो परिस्थितियों के अनुसार बदल जाते है. जो लोग शुरुआत में गलत लगते है आगे जाकर अच्छे लगने लगते है और जो अच्छे लगते है वो आगे जाकर बुरे बन जाते है. इस उपन्यास की एक एक कोटेशन खजाना है जिन्दगी के पाठ का.
ये उपन्यास हमें सिखाता है कि इस दुनिया में कुछ भी पूरी तरह सफ़ेद या पूरी तरह काला नहीं है सब कुछ धूसर (ग्रे ) है.