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आप ये जानकार हैरान रह जायेंगे कि इंसानों से भी तेज़ दौड़ता है इस मछली का दिमाग !

ये तो इंसानों के तेज़ दिमाग का ही कमाल है कि आज इंसान चांद पर जा पहुंचा है.

इतना ही नहीं मंगल पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने में भी इंसानी दिमाग का अहम योगदान रहा है.

अब तक इस दुनिया में जितने भी अविष्कार हुए हैं, उसके पीछे भी इंसानी दिमाग का ही खेल है. इस पृथ्वी पर रहनेवाले सभी प्राणियो, जानवरों से ज्यादा तेज़ दिमागवाला और समझदार इंसान को ही माना जाता है.

हालांकि खुद को समझदार समझने वाले हम इंसानों का भ्रम भी टूट जाएगा, जब उन्हें पता चलेगा कि इंसानी दिमाग से कहीं ज्यादा तेज दौड़ता है मछली का दिमाग !

आमतौर पर हम सभी सोचते हैं कि मछली का दिमाग होता ही नहीं है या फिर होता है तो फिर बहुत कम. लेकिन हमें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता है कि मछली का दिमाग हमारी सोच से कहीं ज्यादा तेज़ काम करता है.

इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि पानी में रहनेवाली डॉल्फिन मछली का दिमाग इंसानों से दोगुना ज्यादा तेज़ चलता है.

10%  काम करता है इंसान का दिमाग

कहा जाता है कि इस धरती का इंसान चाहे कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो लेकिन वो सिर्फ अपने दिमाग का 10 फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाता है. जबकि उसके दिमाग का 90 फीसदी हिस्सा यूं ही बेकार चला जाता है यानि वो काम ही नहीं करता है.

75 फीसदी पानी से बने इंसान के दिमाग में 100 अरब न्यूरॉन्स या तंत्रिका कोशिका होती हैं, जिससे करीब 100 ट्रिलियन सूत्रयुग्मक (synaptic) संपर्क में होते हैं.

दिमाग इंसान के शरीर का सबसे तेज़ अंग कहा जाता है, जो अपने शरीर में मौजूद ऑक्सीजन का कुल 20 फीसदी उपयोग करता है.

20% काम करता है डॉल्फिन का दिमाग

डॉल्फिन मछली का दिमाग इंसानों के दिमाग से दोगुना ज्यादा यानि 20 फीसदी काम करता है. ये मछलियां जितने गहरे पानी में रहती हैं उनकी समझ में भी उतनी ही ज्यादा गहराई होती है.

डॉल्फिन की दिमागी क्षमता को जानने के लिए उनपर वैज्ञानिकों ने कई शोध भी किए हैं. जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि इन मछलियों का दिमाग इंसानों से तेज़ चलता है और इंसानों के बाद अगर किसी की याददाश्त लंबी है तो वो है डॉल्फिन मछली की.

डॉल्फिन आवाज और सीटियों के ज़रिए एक दूसरे से बात करती हैं. यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती है.

डॉल्फिन 10-15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है लेकिन वह पानी के अंदर सांस नहीं ले सकती. उसे सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है.

गौरतलब है कि इंसान और मछलियों के दिमाग के रहस्य को जानने के लिए इसपर लगातार कई तरह के अध्ययन होते आ रहे हैं और इस विषय पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं.

कई शोध के नतीजों पर गौर करें तो ये पता चलता है कि इंसानों से ज्यादा तेज दिमागवाली होती हैं डॉल्फिन मछलियां.

Anita Ram

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