फर्स्ट FIR – हम सभी जानते हैं, मुस्लिम आक्रमणकारियों और अंग्रेजों के लूटे जाने के बावजूद भी भारत का इतिहास अत्यंत सम्रद्ध रहा है।
यहाँ हमेशा से ही सम्रद्ध अर्थव्यवस्था देखने के मिली है और इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि कभी हमारे देश का रुपया डॉलर पर भी भारी था।
लेकिन समय के साथ विदेशी कर्जे से निपटने के लिए रूपए को डॉलर के बराबर कर दिया गया, लेकिन पश्चिमी देशो के कारण रुपया लगातार गिरता ही चला गया और फलस्वरूप रुपया छोटा पड़ गया और डॉलर की कीमत ज्यादा हो गई। लेकिन आपको बता दें की रुपया के छोटे होने और विदेशी आक्रमणकारियों को झेलने के बावजूद आज भी हिन्दुस्तान अच्छी पोजीशन पर है, हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था आज भी सम्रद्ध है।
शायद आप ना जानते हों लेकिन आपको बता दें कि भारत के पास विश्व की (चीन के बाद) दूसरी सबसे बड़ी सेना है और भारत का नाम पावरफुल देशों की सूची में 8वें नंबर पर है तो वही सेना की शक्ति के मामले में भारत चौथे नंबर पर है, पहले और दुसरे नंबर पर अमेरिका और रूस है।
देश की आंतरिक सुरक्षा की बात करें तो जिस तरह आर्मी देश की सुरक्षा करती है, उसी तरह पुलिस देश की आंतरिक सुरक्षा करती है। पुलिस हमारी रक्षा हर परिस्थिति में में करती है फिर चाहे वह कोई भी समय या कोई भी मौसम हो। पुलिस हमारी हर समय सुरक्षा करती है। और आज हम बताने वाले हैं पुलिस के एक शुरूआती करतब के बारे में।
कुछ समय पहले दिल्ली पुलिस के द्वारा एक ट्वीट किया गया जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई फर्स्ट FIR (फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट) का जिक्र किया गया है। यह पहली प्राथमिकी आज से 157 साल पहले 18 अक्टूबर 1861 को दिल्ली पुलिस द्वारा उर्दू भाषा में दर्ज की गई थी। यह फर्स्ट FIR बर्तन और हुक्का चोरी के बारे में है।
जिस समय भारत अंग्रेजों का गुलाम था उस समय की यह रिपोर्ट दिल्ली पुलिस के इतिहास के बारे में स्पष्ट रूप से बतलाती है। ट्वीटर पर इस रोचक जानकारी के शेयर होते ही लोगों में खासा उत्साह रहा है। लोगों ने इस जानकारी को खूब सराहा है और दिल्ली पुलिस के कर्त्तव्य को भी।इसके अलावा हम एक और पिक्चर शेयर कर रहे हैं जिसमें दिल्ली पुलिस का पहला वायरलेस है.
लेकिन अभी हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस इस देश की सबसे ज्यादा भ्रष्ट पुलिस बन चुकी है जो चिंता का विषय है ।सीएमएस-इंडिया करप्शन स्टडी 2015 के अनुसार अभी भी दिल्ली के एक तिहाई लोग अपनी बुनियादी सुविधाएं पाने के लिए सरकारी बाबुओं की जेब भरते हैं और लगभग पुलिस से लेकर टेक्स विभाग तक तभी जब रिश्वत देते हैं। तब जाकर इनका काम होता है। यह रिपोर्ट दिल्ली पुलिस की छवि को नकारात्मक करने के लिए पर्याप्त है।
भारत में ब्रिटिश काल से ही भ्रष्टाचार रहा है, और आखिरकार 1963 में डॉ राममनोहर लोहिया ने भ्रष्टाचार के खातमें को लेकर जो भाषण दिया वह आज भी प्रासंगिक है।
खैर जो भी हो दिल्ली पुलिस की भारतीय इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है, और भारतीय नागरिक यही आशा करेंगे की यह अच्छे कामों के साथ आगे भी जारी रहे। इसी के साथ इस रोचक जानकारी के लिए दिल्ली पुलिस का यंन्गिस्थान की ओर से धन्यवाद।