अधिकतर फ़िल्मों का उद्देश्य होता है आपको हँसाना, आपको एंटरटेन करना और आपको वास्तविक दुनिया से एक काल्पनिक दुनिया में ले जाना ताक़ि आप रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से कुछ देर के लिए निजाद पा सकें!
लेकिन फिल्में समाज का आईना भी होती हैं और कई फ़िल्मकार सिर्फ़ इसलिए फ़िल्में बनाते हैं ताक़ि आपको एंटरटेन करने के साथ कुछ सोचने पर भी मजबूर कर सकें और समाज में एक बदलाव ला सकें!
हाल ही में मुंबई में हुए मामी फ़ेस्टीवल यानि मुंबई एकेडेमी ऑफ़ मूविंग इमेजेज़ फ़ेस्टीवल में कुछ ऐसी ही फ़िल्में दिखाई गयीं!
बहुत जल्द अब वो देश भर में रिलीज़ हो पाएँगी ताक़ि सभी उनका लुत्फ़ उठा सकें और एक बदलाव की दिशा में बढ़ सकें!
यह ख़ास 11 फ़िल्में हैं:
1) अलीगढ़
2010 में एक मराठी के प्रोफ़ेसर ने आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उनके समलैंगिक यानि गे होने पर सवालिया निशान उठाये गए थे! ये फिल्म उसी बारे में है और मनोज बाजपाई और राजकुमार राओ इस फ़िल्म में बेहतरीन एक्टिंग की चमक बिखेरते नज़र आएँगे!
2) ही नेम्ड मी मलाला
डेविड गगनहीम द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म पाकिस्तानी लड़की मलाला के बारे में है जिसने तालिबान के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और उनकी गोली का निशाना बनी! इस फ़िल्म में आप उसके नोबेल पुरुस्कार पाने तक के सफ़र से रूबरू होंगे!
3) यूथ
पाओलो सोर्रेंतीनो द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म दो ऐसे दोस्तों की कहानी है जो जवानी को पार कर चुके हैं और अपने जीवन से निराश और हताश हैं! ना-उम्मीदी से गुज़रती ज़िन्दगी किस मोड़ पर ले आएगी, इस फ़िल्म को देख कर जानिएगा!
4) द क्लब
इस फ़िल्म के निर्देशक हैं पाब्लो लर्रिएन और इन्हें बहुत ही संवेदनशील सब्जेक्ट पर ये फ़िल्म बनाई है! इस में चर्च में हो रहे बच्चों के यौन शोषण को मुद्दा बनाया गया है!
5) धीपन
जेकस ऑडियार्ड द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म की कहानी दिल को छू जायेगी! तीन तमिल रिफ़्युजि जो श्रीलंका के ग्रहयुध से बचने के लिए फ्रांस जाने की तैयारी कर रहे हैं, उनके जीवन की उथल-पथल को दर्शाती है ये फ़िल्म!
6) राजकहिनी
ये बांग्ला फ़िल्म भारत-पाक बँटवारे के बारे में है और बंगाली फ़िल्म इंडस्ट्री के अधिकतर कलाकार आपको इस में नज़र आएँगे!
7) एंग्री इंडियन गोड्डेस्सेस
पन नलिन द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म है आज की भारतीय नारी के बारे में जो आधुनिक भी है और संस्कृति से अनजान भी नहीं!
8) हरामख़ोर
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक बार फिर आपको इस फ़िल्म से छू जाएँगे जिसका निर्देशन किया है श्लोक शर्मा ने! ये एक 15 साल की लड़की की कहानी है जिसे अपने टीचर से प्यार हो जाता है!
9) प्लेसबो
नए फ़िल्मकार अभय कुमार की यह डाक्यूमेंट्री फ़िल्म भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियों, उसकी ख़ामियों को उजागर करती है!
10) धनक
प्रसिद्ध फ़िल्मकार नागेश कुकुनूर की यह फ़िल्म दिखाती है एक 10 साल की लड़की का सफ़र जो अपने 8 साल के भाई को उसकी आँखें दिलवाने के लिए निकल पड़ी है!
11) उमरिका
इस फ़िल्म में देखिएगा कैसे छोटे से गाँव से निकल एक भाई अपने भाई की तलाश में दुनिया भर की ख़ाक छानता है! इसके निर्देशक है प्रशांत नायर!
जैसे ही मौका मिले, ये फ़िल्में ज़रूर देखिएगा, कुछ अलग हैं, कुछ नयी हैं!
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