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पन्नों से परदे तक – ये किताबें बनीं फ़िल्मों की प्रेरणा

फिक्शन, ट्रेजडी, कॉमेडी, रोमांस, हिस्ट्री, संस्पेस थ्रिलर जॉनर चाहे कोई भी हो आप भी अपनी पसंद की बुक्स पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते होंगे.

किस्से और कहानियों को पढ़ते पढते हम कभी कभी उससे जुड़ाव सा महसूस करने लगते है, ऐसा हो भी क्यों ना किताबें समाज का आईना होती है. कई किताबों ने बॉलीवुड को अपनी ओर सम्मोहित किया है.

आईए देखते है कि कौन सी किताबें बनीं फ़िल्मों की प्रेरणा.

किताब पर फ़िल्म बनाने का इतिहास काफी पुराना है अब मशहूर बंगाली उपन्यासकार शरतचंद्र को ही ले लिजिए.

इनके नोवेल से प्रेरणा लेकर एक नहीं 4 बार हिन्दी फ़िल्में बनी है.

पहली बार पीसी बरुआ की देवदास साल 1936 में रिलीज हुई. इसमें केएल सहगल ने मेन रोल किया था. दूसरी 50 के दशक में देवदास के ही नाम से आई फ़िल्म सबसे बेहतरीन मानी जाती है इसमें दिलीप कुमार,सुचित्रा सेन और वैजयंती माला ने काम किया था. बिमल रॉय की ये फ़िल्म ब्लैक एंड व्हाईट में रिलीज हुई थी.

संजय लीला भंसाली ने साल 2002 में इसे भव्य पैमाने पर बनाया. शाहरुख खान ऐश्वर्या और माधुरी की तिकड़ी वाली ये फ़िल्म ठीक ठाक चली.

कहा जाता है कि अनुराग कश्यप की फ़िल्म देव डी देवदास का मार्डन वर्जन थी. प्यार में मात खाया देवदास का किरदार नशे में डूबकर अपना गम भूलाने की कोशिश करता है.

इस उपन्यास पर दूसरी भाषाओं में भी फिल्म बनीं है.

देवदास की तरह ही शरतचंद्र का उपन्यास परिणिता भी बॉलीवुड की प्रेरणा बना है. मीना कुमारी और विद्या बालन दोनों ही ये यादगार किरदार निभा चुकी है.

हिन्दी साहित्य के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद के तीन मशहूर उपन्यास पर फ़िल्म की कहानी रची गई.

जिसमें गबन, गोदान और शतरंज के खिलाड़ी जैसी फ़िल्में शामिल है. उनकी किताबों में ब्रिटिशकालिन भारत की झांकी दिखाई देती है.  प्रेमचंद के उपन्यास में उस दौर की आर्थिक विषमताओं, रुढ़ियों का बेहतरीन ढंग से चित्रण होता है साथ प्रेम जैसी भावनाओं को भी जगह दी गई है.

अंग्रेजी के महान उपन्यासकार शेक्सपियर को कौन नहीं जानता है.

इनकी किताबों के अंग्रेजी सहित दूसरी भाषाओं में अनुवादित संस्करण भी काफी मशहूर हुए है. डायरेक्टर विशाल भारद्वाज ने उनके कई नोवेल्स का भारतीयकरण करके फ़िल्म बनाई है.

फिल्म ओमकारा ओथेलो, फ़िल्म मकबूल मैकबेथ, हैदर हैमलेट पर आधारित है. उनकी तीनों ही फ़िल्मों को अवार्ड्स के साथ सराहना मिली है.

नई पीढ़ी के नोवेलिस्ट में चेतन भगत का नाम काफी पॉपुलर है.

कभी कॉलेज तो कभी ऑफिस लाईफ के ईर्द गिर्द घुमती हुई उनकी कहानियों से युवा वर्ग काफी जुड़ाव महसूस करता है.

उनकी लिखी किताबों पर बनीं फ़िल्म ज्यादातर सफल रही है. चेतन भगत की बुक वन नाईट एट कॉलसेंटर पर हैलो, थ्री मिस्टेक्स ऑफ मॉय लाईफ पर काई पोचे, फाईव पाईंट समवन पर थ्री इडियट्स और टू स्टेट्स पर टू स्टेट्स नाम से ही फ़िल्म बनीं है.

मशहूर गीतकार और निर्देशक गुलजार  भी बुक पर आधारित फ़िल्म बना चुके है.

उनकी फ़िल्म परिचय एक बंगाली नॉवेल रंगीन उत्तरे पर आधारित है.

तो वहीं उनकी मशहूर कॉमेडी फ़िल्म अंगूर शेक्सपियर के फ़ेमस नाटक द कॉमेडी ऑफ एरर्स पर आधारित है. उनकी दोनो ही फ़िल्में परिचय और अंगुर पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखी जा सकती है.

इंदिरा गांधी की जीवनी मानी जाने वाली फ़िल्म आंधी असल में कमलेश्वर की किताब काली आंधी पर आधारित है. गुलाजार की फ़िल्म आंधी उनकी यादगार फ़िल्मों में से एक है.

एवरग्रीन स्टार देवआनंद की क्लॉसिक फ़िल्म आर के नारायणन के नॉवेल गाईड पर बेस्ड है.

डॉ. क्रोनिन के नॉवेल पर द सिटाडेल पर बनीं फ़िल्म तेरे मेरे सपने भी देवानंद की मशहूर फ़िल्म है.

देव आनंद की तरह मशहूर फ़िल्मकार शेखर कपूर भी बुक्स के मोह से बच नहीं पाए है एरिक सेगल के फेमस नॉवेल मेन वुमन और चाईल्ड पर उन्होने मासूम नाम से फ़िल्म बनाई.

इसमें नसीरउद्दीन शाह और शबाना आज़मी जैसे मंझे हुए कलाकारों ने काम किया था.

बोल्ड एंड सेंसुएस हीरोइन प्रिंयका चोपड़ा किताबों पर आधारित फ़िल्मों में अपनी बहुमुखी प्रतिभा की छाप छोड़ चुकी है.

उनकी फ़िल्म सात खून माफ रस्किन बांड के नॉवेल सुनयनाज़ सेवन हंसबंड पर बेस्ड थी तो वही वाट्स योअर राशि गुजराती नॉवेल किमबॉल रेवेन्ज़वुड पर आधारित थी. इस फ़िल्म के लिए प्रियंका का नाम गिनिज बुक में दर्ज हुआ था. वो 12 अलग अलग किरदार निभाने वाली पहली हीरोइन बनी थी.

प्रियंका की तरह उर्मिला मातोंडकर भी काफी बोल्ड एक्ट्रेस मानी जाती थी. इंडो पाक के पार्टिशन पर बेस्ड अमृता प्रीतम के नॉवेल पर बनीं थी फ़िल्म पिंजर. इस फ़िल्म के जरिए उर्मिला की बेहतरीन एक्टिंग स्किल नजर आई.

स्टाईल ऑयकॉन सोनम कपूर की दो फ़िल्में बुक पर बेस्ड है.

उनकी फ़िल्म आएशा जेन आस्टिन के नॉवेल एम्मा पर बेस्ड थी. तो वही उनकी पहली फ़िल्म सांवरिया दोस्तोवस्की की शोर्ट स्टोरी व्हाईट नाईट्स पर बेस्ड थी.

सोनम की हमउम्र सोनाक्षी सिन्हा भी बुक पर बेस्ड फ़िल्म में काम कर चुकी है. उनकी फ़िल्म लुटेरा हेनरी की लघुकथा द लास्ट लीफ़ पर कुछ हद तक बेस्ड है. आपको जानकर हैरानी होगी कि हम आपके कौन जो कि नदिया के पार का रीमेक है हिन्दी उपन्यास कोहबर की शर्त पर आधारित है. इस फ़िल्म को बुक पर बनीं सबसे सफलतम फ़िल्म माना जा सकता है.

मिर्जा हादी रुसवा के उपन्यास पर आधारित फ़िल्म में रेखा ने तवायफ का यादगार रोल किया था इस फ़िल्म के लिए उनको नेशनल अवार्ड मिला था.

ऐश्वर्या को लेकर भी उमरावजान की अदा बनाने की नाकाम कोशिश की गई.

मानवीय संवेदनाओ से भरी फ़िल्म बनाने के लिए मशहूर गुरुदत्त की फ़िल्म साहिब बीवी और गुलाम बंगाली उपन्यास पर आधारित थी.

राजेश खन्ना की फ़िल्म सफर भी बंगाली नावेलिस्ट आशुतोष मुखर्जी की बुक पर बेस्ड थी. तो वहीं सहज अभिनय की धनी नूतन की फ़िल्म बंदिनी और सरस्वतीचंद्र भी नॉवेल पर बेस्ड थी.

नई पीढ़ी के फ़िल्मेकर्स में बुक पर बेस्ड फ़िल्म बनाने का क्रेज कम नहीं हुआ है.

अब बॉम्बे वेलवेट को ही ले लिजिए ये फ़िल्म मशहूर इतिहासविद ज्ञान प्रकाश की बुक मुंबई फेबल पर बेस्ड थी.

ये फ़िल्म घाटे का सौदा साबित हुई. तो वहीं सुंशात सिंह की फ़िल्म डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी बांग्ला लेखक शरदिंदु बंदोपाध्याय के जासूसी नॉवेल पर बेस्ड है. आदित्य रॉय कपूर और कैटरीना कैफ की  आने वाली फ़िल्म फितूर डिकन्स के नॉवेल द ग्रेट एक्सपेक्टेशन पर बेस्ड है.

ब्लू अम्ब्रेला (रस्किन बांड का नॉवेल), शशी कपूर की जूनून( फाईट ऑफ पीजन), पति पत्नी और वो( कमलेश्वर के नॉवेल), रंजनीगंधा ( यही सच है), काबूलीवाला (रविंद्रनाथ टैगोर की लघुकथा), गरम हवा (इस्मत चुगताई की लघुकथा), ब्लैक फ्राईडे (हुसैन जैदी की सत्यकथा पर आधारित), उत्सव ( राजा शुद्रक लिखित संस्कृत नाटक मृच्छकटिकम्), जैसी फ़िल्मो की प्रेरणा साहित्यिक कृतिया बनी हैं.

रामायण और महाभारत जैसे पौरणिक किताबें भी फ़िल्मों के लिए प्रेरणा बनीं है जैसे हम साथ साथ है रामायण और राजनीति महाभारत का मार्डन वर्जन मानी गई.

Shilpa Rounghe

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