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सिखों के पांचवें गुरु का बलिदान और शहीद होने की कहानी पढ़कर, आप आक्रोशित और हताश दोनों हो जाओगे

Fifth Sikh Guru Arjan Dev ji Sacrifice

अकबर के समय सिखों के पांचवें गुरू अर्जुन देव जी ने देश में अखंडता और एकता को स्थापित करने का कार्य किया था.

उस दौर में इनसे बड़ा नाम आपको खोजने से भी नहीं मिला सकता है. लेकिन क्या आपको पता है कि अर्जुन देव जी की मृत्यु का कारण क्या था?

आइये जानते हैं कि आखिर क्यों अकबर के बाद गद्दी सँभालने वाले राजा ने अर्जुन देव जी को मौत की सजा दी थी-

रावी नदी में फेंकवा दिया गया था अर्जुन देव जी को

सिखों के गुरु अर्जुन देव को सच्चे पातशाह बादशाह कहकर संबोधित करना आरंभ कर दिया गया था.

सिख अनुयायियों की संख्या दिन दूना, रात चौगुनी बढ़ने लगी थी. इसलिए उनसे समाज में रूढ़िवादी  व कट्टर मुस्लिम समुदाय के लोग नफरत करने लगे थे.  अकबर के समय तक तो सब कुछ सही चलता रहा था लेकिन सन् 1605 में जब सम्राट अकबर की मृत्यु हुई तो उसके बाद मुगल शासक जहांगीर के कान गुरुजी व सिखों के खिलाफ भरने लगे थे. स्वयं बादशाह जहांगीर भी गुरु अर्जुन देव के सिख धर्म के प्रचार-प्रसार से डर गया था. उसने गुरु के विरोधियों की बातों में आकर उनके विरुद्ध सख्त रुख अपनाने का मन बना लिया था. जहांगीर के आदेश पर गुरु अर्जुन देव को गिरफ्तार कर लाहौर शहर लाया गया तथा वहां के राज्यपाल को गुरु को मृत्युदंड सुनाने का फ़रमान दे दिया गया. सभी को डर लग रहा था कि अर्जुन देव जी की वजह से लोग एकजुट हो रहे हैं और धर्मपरिवर्तन  नहीं हो पा रहा है.

इसके साथ ही अमानवीय यातनाओं का अंतहीन दौर चल पड़ा. लाहौर के वज़ीर ने गुरु अर्जुन देव को एक रूढ़िवादी सोच के व्यवसायी चंदू को सुपुर्द कर दिया. कहा जाता है कि चंदू ने गुरुजी को तीन दिनों तक ऐसी-ऐसी शारीरिक यातनाएं दीं, जो ना तो शब्दों में बयां की जा सकती हैं, ना ही वैसी कोई मिसाल इतिहास में ढूंढ़े मिलेगी. यातनाओं के दौरान गुरु अर्जुन देव को लोहे के धधकते हुए गर्म तवे पर बैठाया गया.

इतने पर भी जब चंदू का मन नहीं भरा, तो उसने गुरुजी के सिर व नग्न शरीर पर गर्म रेत डलवायी. गुरुजी के सारे शरीर पर छाले व फफोले निकल आये. ऐसी दर्दनाक अवस्था में ही गुरुजी को लोहे की ज़ंजीरों में बांधकर 30 मई सन 1606 ईस्वी में रावी नदी में फेंकवा दिया गया.

(ऊपर बताई गयी इस कहानी को आप सभी सिख धार्मिक पुस्तकों में जांच सकते हो)

गुरु अर्जुन देव जी के बलिदानों को सारा भारत कभी भूला नहीं सकता है. लेकिन आज देश भूल चुका है कि सारे भारत को जोड़ने के लिए जो कार्य गुरूजी ने किया था वह आज तक कोई और नहीं कर पाया है.