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वर्जनिटी टेस्ट : मैं झूठी प्लेट में खाना क्यों खाऊं ?

महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट

अक्सर जब भी इस बात पर बहस होती है कि वर्जनिटी टेस्ट होना चाहिए कि नहीं तो कुछ बुद्धजीवी इस मुद्दे को किसी ओर ही ले जाने की कोशिशें करती है और उनकी महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट को लेकर दी गई दलीलों पर गुस्से से ज्यादा हंसी आनी लगती है ये सोच कर देश बदलने की बात करने वाले लोग वर्जनिटी टेस्ट पर लड़का – लड़की में अंतर बताने लगते हैं ।

लेकिन जब बनाने वाले ने कभी अंतर नहीं किया फिर हम क्यो भेदभाव करते हैं  भारत और दुनियाभर के कई देशों में आज भी महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट कराया जाता है ।और कई देशों में तो ये भी कानून है कि शादी से पहले कोई भी लड़की संबंध नहीं बन सकती ।

महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट

हालांकि इन नियम कानूनों को लेकर किसी के पास भी कोई तथ्य नहीं है लेकिन हर कोई इसको लेंकर संस्कृति सभ्यता की दुहाई देता जरुर नजर आ जाता है । लेकिन जब भी महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट की बात आती है तो कई लड़कियों का सवाल होता है कि अगर वर्जनिटी टेस्ट इतना ही जरुरी है । तो फिर लड़कों का वर्जनिटी टेस्ट क्यों नहीं कराया जाता है । शादी से पहले लड़कों का भी मेडिकल टेस्ट होना चाहिए कि वो शादी से पहले किसी के साथ संबंध बना चुके हैं या नहीं ।

लेकिन इस बात को लेकर सभी के अपने अपने बहाने होते हैं ।

महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट

परिवार वाले कहते हैं । पागल हो, लड़कियों की पवित्रता चैक कराना तो समाज का नियम है  । इसी मुद्दे को लेकर मेरी मेरे एक मेल फ्रेंड के साथ बहस हो गई । जिसका कहना था कि मैं दूसरे देशों के बारे में नहीं जानता लेकिन हमारी संस्कृति में लड़कियों की एक मर्यादा तय की गई है जिसे उसे लाघना नहीं चाहिए और महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट उनकी उसी मर्यादा को चैक करने के लिए किया जाता है ।

इस पर मैंने भी उसे कहा कि ऐसा है तो लड़कों की पवित्रता, मर्यादा का पता लगना चाहिए ।इस पर उसका कहना था लड़को का पता नहीं चलता , लेकिन लड़कियों को ऐसा नहीं करना चाहिए ।जिस पर मेरा जवाब था कि पता चले ना चले इसे क्या फर्क पड़ता है अगर लड़के शादी से पहले किसी के साथ संबंध बना सकते हैं तो लड़कियां भी अगर किसी पर विश्वास करके उसके साथ संबंध बनाती है तो उसके लिए उसे उम्र भर क्यों दोषी ठहराया जाए ? अतीत तो लड़का ल़ड़की दोनों का होता है ।

महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट

फिर लड़की के अतीत को लेकर उसे अश्याय , वेश्या कहकर घर से निकाल देना क्या सही है ? और कई बार लड़कियां वर्जन होते हुए भी उन पर बच्चलन का दाग लग जाता है क्योंकि वो पंपरागत तरीके से होने वाले वर्जनिटी टेस्ट में पास नहीं होती ।जबकि विज्ञान भी कहता है कि वर्जनिटी कई तरह से लूज हो सकती है ।

इस पर लड़के का कहना था कि मैं किसी ओर की झूठी प्लेट में खाना क्यों खाऊं  ?

अब आप ही सोचिए आज के जमाने का एक लड़का लड़कियों पर ऐसी सोच रखता है कि वो किसी की छूई ही चीज को हाथ क्यों लगाए ?

एक लड़की की तुलना खाने की उस प्लेट से की जाती है जिस पर उसके मालिक के अलावा किसी का हक नहीं होता ।लेकिन अगर एक आदमी ये कहता है कि झूठी प्लेट में खाने से उसकी मर्दानंगी को ठेस पहुंचती है । तो फिर एक औरत क्यों अपने पति की झूठी प्लेट में खाना खाए नियम तो सभी के लिए बराबर होने चाहिए । हम ये नहीं कहते कि शादी से पहले संबंध बनाना लड़का या लड़की के लिए सही है या गलत क्योंकि अपने शरीर, अपनी इच्छाओं पर हर किसी का अपना अधिकार होता है ।

लेकिन महिलाओँ के वर्जिनटी टेस्ट जैसी तकियानुशी सोच केवल महिला के शरीर पर से उसके अधिकार को ही नहीं छीनती बल्कि उसे जीवनभर के लिए घाव भी दे देती है ।