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यंगिस्थान से जानिये फतवा का असंवैधानिक इतिहास !

फतवा का असंवैधानिक इतिहास

फतवा का असंवैधानिक इतिहास – आजकल समाज में अक्सर ‘फतवा’ शब्द का बोल-बाला सुनने को मिलता है, जिससे फतवा को लेकर अक्सर दिमाग में तरह-तरह के भ्रम आने लगते हैं।

लेकिन आपको बता दें कि फतवा और कुछ नहीं बल्कि पवित्रता, ईमानदारी और सच्चाई से निर्णय देने का तरीका है, जिसे सिर्फ कुरआन और इस्लाम धर्म का ज्ञाता यानी मुफ़्ती ही दे सकता है। अगर मुफ़्ती को हिन्दू धर्म के अनुसार संज्ञा दी जाए तो जैसे हिन्दू धर्मं प्रतिनिधियों में शंकराचार्य का स्थान है, वही इस्लाम में मुफ़्ती का स्थान होता है।

फतवा का असंवैधानिक इतिहास –

मुफ़्ती बनने के लिए शरिया क़ानून, कुरान और हदीस का ज्ञान होना जरूरी है। इसी लिए कोई भी इमाम, मौलवी फतवा जारी नहीं कर सकता।

यहाँ हदीस का मतलब है ‘पैगम्बर मोहम्मद ने इस्लाम के तौर-तरीके के हिसाब से जिस तरह अपना जीवन व्यतीत किया, उसकी जो प्रमाणिक मिसाले है उन्हें हदीस कहते हैं।

अगर संविधान के अनुसार देखा जाए तो शरिया क़ानून से चलने वाले देशों में फतवा का महत्व हो सकता है, क्योंकि वहां इसे कानून के रूप में लागू कराया जाता है। लेकिन भारत जैसे विशाल देश में जहाँ सभी धर्म के लोग रहते हैं वहां ये इस्लामी कानून किसी कल्पना में ही लागू हो सकते हैं। और दूसरी बात हमारा संविधान भी कई जगह धार्मिक रीती रिवाजों का विरोध भी करता है, वह इन अंधे रीती-रिवाजों के कारण धर्म को भी अँधा मानता है, समाज के लिए अभिशाप मानता है। क्योंकिइन असंवैधानिक रिवाजों के आगे संविधान और कानून अक्सर वेबस होता है। जबकि सच्चाई तो ये है कि ये दो-कौड़ी के रिवाज किसी धर्म ने नहीं बल्कि खुद इंसानों ने बनाये हैं।

लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि ये लोग धर्म की ढाल लेकर अपने स्वार्थ के तीर चलाते है, और यही फतवा के साथ हुआ है।अपने स्वार्थ के चलते कई मौलवियों और इमाम ने फतवा शब्द का गलत इस्तेमाल किया है, लोगों के मन में फतवा को लेकर जानबूझ कर भ्रम पैदा किया है। इसका परिणाम यह निकला कि भ्रम फैलाने वाला मीडिया की सुर्ख़ियों में आने के कारण प्रसिद्द हो गया और उस भ्रम में फँस कर लोग आपस में लड़ने लगे, दंगे होने लगे और हिन्दू मुस्लिम की इसी आग पर यह लोग स्वार्थ की रोटियाँ सेंकने लगे।

फतवा का असंवैधानिक इतिहास – भारत में फतवा को लेकर बात की जाए तो अभी हाल ही में सोनू निगम के नाम फतवा जारी किया गया था। इसके अलावा नरेन्द्र मोदी, सलमान खान, शाहरुख़ खान, सानिया मिर्ज़ा, वीणा मलिक, ए. आर. रहमान, इंडियन आइडल सिंगर नाहिद अफरीन के अलावा और भी दर्जनों लोगों के नाम फतवा जारी हो चूका है। लेकिन नुकसान इनमें से किसी को नहीं हुआ, इसलिए कहा जा सकता है कि फतवा एक असंवैधानिक आरोप से ज्यादा और कुछ नहीं हो सकता।