लॉटरी – अकसर देखा गया है की बाप के मरने के गम में बेटा या तो शराब के नशे में डूब जाता है या फिर कर्ज में.
लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने ले जा रहे हैं जिसके पिता के मरते ही उसकी किस्मत खुल गई.
सिडनी में रहने वाले इस शख्स के लिए अपने पिता की बात मानना बेहद फायदेमंद रहा. दरअसल इस शख्स के पिता को पता था कि उनका बेटा कई सालों से लॉटरी जीतने की कोशिश कर रहा है लेकिन हमेशा खाली हाथ और निराशा के साथ वापस आता है. इसलिए उस शख्स के पिता ने मरते समय अपने बेटे से एक वादा लिया जिसमें उसने कहा कि “बेटा मेरे मरने के बाद भी उसी नंबर पर लॉटरी टिकट लेना जो तुम हमेशा लेते आए हो.”
वह शख्स अपने मरते पिता की आखिरी ख्वाहिश और वादे को टाल ना सका और उसने अपने पिता की बात मानकर लगातार उसी नंबर के टिकट को खरीदता रहा और आखिरकार एक दिन ऐसा ही गया जब वह अपने पिता के बताए नंबर के जरिए एक-दो नहीं बल्कि 8 मिलियन डॉलर जीत गया यानी भारतीय रुपये में देखा जाए तो ये व्यक्ति रातो-रात 52 करोड़ का मालिक बन गया.
इस शख्स का मानना है कि उसके पिता भी उसी की तरह लॉटरी टिकेट खरीदा करते थे.
उन्होंने करीब 20 साल तक एक ही टीकट नंबर पर पैसा लगाया था लेकिन वह कभी भी कोई इनाम नहीं जीत पाए.
उनको हमेशा से इस बात का गम रहा की जिस टीकट नंबर को वह इतना लकी मानते आए उसके जरिए उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ. लेकिन इस शख्स की माने तो इसका कहना है कि उसके पिता का मरते दम तक उस नंबर के प्रति लगाव खत्म नहीं हुआ था, जिसके अपने आखिरी वादे में भी वह इसी नंबर का जिक्र करते हुए इस पर पैसे लगाना ना छोड़ने की कह गए. उन्हें यकीन था कि यह नंबर आज नहीं तो कल उन्हें एक बड़ी रकम जितवाएगा. यह नंबर उनकी ना सही तो उनके बच्चों कि जिंदगी जरूर बदलेगा और इसी आस में उन्होंने अपने बेटे से वादा लिया की चाहे जो हो जाए तुम इसी नंबर की टीकट खरीदना.
उस शख्स ने ठीक ऐसा ही किया और लगातार उसी नंबर की लॉटरी खरीदता रहा और नतीजा आज को हम सभी के सामने है.
इस शख्स का कहना है कि वह खुद को बेहद लकी मानता हैकि उसने अपने पिता की बात मानी, इसके साथ ही उसने इनाम में जीती रकम पूरे परिवार के साथ बाट ने की बात कही.
तो दोस्तों इस व्यक्ति से हमें दो चीज सीखने को मिलती हैं पहली कि हमें कभी-भी हार नहीं माननी चाहिए और अपनी किस्मत पर यकीन रखना चाहिए चाहे जो हो जाए. दूसरी हमें हमेशा अपने बड़े-बूढो की बात पर ध्यान देना चाहिए इसलिए नहीं क्योंकि वो बड़े है बल्कि इसलिए क्योंकि उन्हें जीवन के बारे में हमसे ज्यादा ज्ञान है और आज को हम जहां खड़े है वह उस दौर से कई साल पहले गुजर चुके हैं. जिसके कारण उनके पास बेहतर अनुभव तो होता है लेकिन उम्र नहीं और इसी वजह से वह अपने बच्चों को यह सीख देते हैं.
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