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ये है इंसानियत, बेटी की मौत के बाद चपरासी पिता ने भरी 45 गरीब लड़कियों की स्कूल फीस

इंसानियत

इंसानियत – कभी खबरें सुनने को मिलती है कि किसी ने किसी को मार दिया तो किसी बच्चे ने मां को पैसे के लिए उसको घर से निकाल दिया।

ऐसी अजीबोगरीब डराने वाली खबरें सुनने के बाद मन में एक बार को सवाल उठता है कि क्या आज के जमाने में इंसानियत बिल्कुल भी नहीं बची?

इन सब खबरों को सुनने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं लगता है।

लेकिन, इन खबरों के बीच जब कोई ऐसी खबर आती है कि कोई किसी गरीब बच्चे को पढ़ा रहा है या अपनी कमाई दूसरों की पढ़ाई पूरी करने में लगा रहा है तो इंसानियत पर भरोसा फिर से आने लगता है। यह खबर सुनने के बाद तो इंसानियत पर भरोसा फिर से कायम हो जाता है।

इंसानियत

कर्नाटक से एक खबर आई है कि एक चपरासी पिता ने अपनी बेटी के मौत के बाद 45 गरीब लड़कियों की स्कूल फीस भरी। इस खबर को पूरे देश और दुनिया में सर्च किया जा रहा है और ऐसी ही खबरों के बाद इंसानियत के ऊपर फिर से भरोसा कायम हो जाता है।

बेटी की याद में किया ऐसा

कर्नाटक की इस घटना ने हर किसी को फिर से इंसानियत पर भरोसा करने के लिए मजबूर कर दिया है। वैसे तो चैरिटी हमेशा से कई लोग करते थे और इन टैरिटी करने वाले लोगों को अक्सर लोग भगवान का रूप समझते थे। लेकिन क्या ये फेयर है? क्योंकि इन चैरिटी करने वाले लोगों के पास चैरिटी में देने के लिए पैसे तो काफी होते हैं। तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। बात तो तब हो जब आप अपनी पूरी कमाई ही चैरिटी में दे दो औरइसका आपको कोई मलाल भी ना हो। कर्नाटक के एक गांव में ऐसा ही एक मामला देखने को मिला।

इंसानियत

कर्नाटक के एक गांव के MPHS Govt High School के चपरासी बासवराज (Basavaraj) ने 45 गरीब लड़कियों की स्कूल फीस भरी. जिसकी लिए उनकी काफी तारीफ हो रही है. ऐसा उन्होंने अपनी बेटी की याद में किया। जिसकी मौत हो चुकी है। बासवराज ने कहा- ‘इस साल से मैं उन गरीब लड़कियों की फीस भरूंगा जो स्कूल में पढ़ाई करती हैं।’

कालाबुर्गी के रहने वाले हैं

बासवराज कर्नाटक के कालाबुर्गी शहर के रहने वाले हैं। कुछ सालों पहले उनकी बेटी की मौत बीमार होने के कारण हुई थी। जिसके बाद अपनी बेटी की याद में वही समाज को भोजन कराने के बजाय बासवराज ने कुछ नेक काम करने की सोची। इस सोच के बाद ही उसने 45 गरीब लड़कियों की फीस भरने की ठानी। उसने ऐसी गरीब बच्चियों की जिंदगी में उजाला करने के लिए किया।

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स्कूल की लड़िकयां हैं काफी खुश

बासवराज के इस फैसले से MPHS Government High School की लड़कियां काफी खुश हैं। फातिमा नाम की लड़की ने कहा- ”हम गरीब परिवार से हैं। हम स्कूल की फीस नहीं दे सकती हैं। बासवराज सर ने बेटी की याद में ये नेक काम किया। भगवान उनकी बेटी की आत्मा को शांति दे।”

एजेंसी ने ट्विटर पर शेयर की यह कहानी

यह कहानी ANI ने ट्विटर पर शेयर की है। इसी के बाद से इसे शेयर किया जा रहा है। बासवराज की इस कदम की लोग भी काफी सराहना कर रहे हैँ। एक यूजर ने लिखा- ”क्या कोई अमीर आदमी ऐसा कर सकता है? सिर्फ गरीब आदमी ही लोगों की दिक्कतों को समझ सकता है। अमीर आदमी सिर्फ पैसों की बरबादी और शादी-पार्टी में पैसा खर्च करते हैं।”

तो देखा आपने, अच्छा काम करने के लिए अमीर-गरीब नहीं होता है। बल्कि नियत होनी चाहिए। मदद करने की ख्वाहिश हो तो गरीब भी गरीब की मदद कर सकता है।