राष्ट्रपिता की उपाधि – हिंदुस्तान और गांधी एक-दूसरे के पर्याय हैं। जैसे इंडिया और ताजमहल एक-दूसरे के पर्याय है। आप कभी बाहर जाकर बोलेंगे की मैं इंडिया से हूं तो हर कोई यही बोलेगा, वहां से, जहां ताजमहल है।
वैसे ही भारत या हिंदुस्तान का नाम लेने से हर कोई सबसे पहले महात्मा गांधी को याद करता है और कहता है गांधी जी के देश से। तो ये कहने-सुनने की बात है। ऐसे ही कितनी सारी कहने-सुनने की बातें हैं जो केवल कहने-सुनने के लिए है लेकिन रियल में नहीं। आज हम इन्हीं के बारे में बात करेंगे।
१ – हिंदी के कारण नहीं है हिंदु और हिंदुस्तान का नाम
कई लोग मानते हैं कि हिंदुस्तान का नाम हिंदी के कारण पड़ा है। पिछले संघ की तरफ से फरमान जैसा भी आया था कि हम सब हिंदी में राज्य में हैं और हिंदुस्तानी हैं तो हम सब को खुद को हिंदु बोलना चाहिए। रियली !!
ऐसा कुछ नहीं है। हिंदुस्तान और हिंदु का नाम हिंदी के कारण नहीं बल्कि सिंधु नदी के कारण पड़ा था। हिंदू शब्द इंडो-आर्यन और संस्कृत, संस्कृत शब्द सिंधु से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पानी के बहाव का एक बड़ा हिस्सा”, जिसमें ‘नदी’ और ‘महासागर’ शामिल हैं। जिसका उपयोग सिंधु नदी के नाम के रूप में किया गया था। ये नाम यवनों ने दिया है जो स का उच्चारण ह के तौर पर करते थे। इसलिए सिंधु नदी के किनारे रहने वालों को हिंदु कहा गया और इस तरह पड़ा हिंदु और हिंदुस्तान नाम।
२ – भारतीयों को नहीं आती अंग्रेजी
ज्यादातर लोग बोलते हैं कि इंडियन्स को अंग्रेजी नहीं आती। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इंडिया अंग्रेजी बोलने के मामले में पूरी दुनिया में दूसरे स्थान पर आता है। जी हां, इंडिया पूरी दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा अंग्रेज़ी बोलने वाला देश है। करीब 10% इंडियन्स अंग्रेजी बोलते हैं जिनकी संख्या लगभग 125 मिलियन है।
३ – रिकॉर्ड के लिए क्लेम करने वालों में भारत तीसरे नम्बर पर
ये जानकर हैरानी होगी की गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में हर साल क्लेम करने वालो में पूरी दुनिया में भारत तीसरे नम्बर पर आता है। गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स के अनुसार, प्रतिवर्ष क्लेम किए गए अमेरिका और ब्रिटेन सबसे ज्यादा क्लेम के लिए भेजना है और इसके बाद भारत का नम्बर आता है। 2011 में भारत ने गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड्स को अमेरिका और ब्रिटेन के बाद सबसे ज्यादा आवेदन भेजे थे।
४ – नेशनल आइस हॉकी टीम
नेशनल आइस हॉकी टीम का नाम सुनकर हैरान होने की जरूरत नहीं। भारत की भी एक नेशनल आइस हॉकी टीम है, जो अंतर्राष्ट्रीय आइस हॉकी फ़ेडरेशन की सदस्य भी है।
५ – महात्मा गांधी को नहीं दी सरकार ने राष्ट्रपिता की उपाधि
हर कोई गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ (The Father of The Nation) कहकर संबोधित करता है। लेकिन सरकार की तरफ से इनको राष्ट्रपिता की उपाधि नहीं दी गई है। इस बात का खुलासा फरवरी 2012 में एक आरटीआई से लगा था। उस साल लखनऊ की एक 10 साल की लड़की ने एक RTI डाली थी कि गांधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि किसने दी थी? पीएमओ की तरफ से जवाब आया कि इस टाइटल से जुड़ा कोई रिकॉर्ड नहीं है। वहीं MHA और नेशनल आर्काइव ऑफ़ इंडिया ने भी ऐसा कोई रिकॉर्ड न होने की बात की।
दरअसल ये टाइटल महात्मा जी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई, 1944 को सिंगापुर रेडियो पर दी थी। तब से ही हर कोई गांधी जी को राष्ट्रपिता कहता है।
तो अब कभी मत सोचिएगा कि सरकार की तरफ से गांधी जी को राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई है या फिर इंडियन्स को अंग्रेजी नहीं आती। इंडियंस सबसे ज्यादा अंग्रेजी बोलते हैं औऱ रिकॉर्ड्स भी हमलोग ज्यादा बनाने की कोशिश करते हैं। तो कैसे लगे आपको ये फैक्ट्स? अच्छे ना। ऐसे ही और फैक्ट्स आपके लिए हम अगले आर्टिकल में लेकर आएंगे।
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