भारत सपेरों का देश है. दुनिया के बहुत से देशों में आज भी लोग इस बात को सच मानते है.
लेकिन ये बात बिलकुल सच नहीं है. हमारे देश को सपेरों का देश बोलकर पिछड़ा हुआ बताया जाता रहा है. सच तो ये है कि ये सपेरों का देश नहीं है ये देश है स्वयं नागराज का.
भगवान् शिव के गले में तो सर्प हमने देखा ही है परन्तु आश्चर्य की बात ये है कि हजारों सालों से हमारे देश में नाग देवता की भी पूजा की जाती रही है.
इस बात का प्रमाण मिलता है देश भर में फैले इए मंदिरों से जिनमे शिव नहीं बल्कि नागराज की पूजा होती है.
आज हम आपको बताते है देश के प्रसिद्द नाग मंदिरों के बारे में जिनके बारे में शायद आपने सुना भी नहीं होगा.
अनंतनाग (कश्मीर)
जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस जगह का नाग से ज़रूर कोई विशेष सम्बन्ध है. इस जगह का नाम भी अनंतनाग साँपों की वजह से ही पड़ा है. कथाओं के अनुसार जब भगवन शिव पारवती से मिलने के लिए अमरनाथ की ओर प्रस्थान कर रहे थे तो इस स्थान पर शिव ने अपने शरीर से सभी नाग उतार दिए थे. शिव के शरीर से उतरे नाग इस स्थान पर ही रहने लगे.
भुज (गुजरात)
गुजरात के भुज क्षेत्र का नाम भी यहाँ के एक प्रसिद्द नाग देवता के नाम पर ही पड़ा है. कच्छ जिले के एक गाँव में भुज्या नामक पहाड़ पर एक नाग मंदिर है. इस नाग मंदिर में भुजंग नामक नाग देवता की पूजा की जाती है. नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में विशाल मेला लगता है.
भुजंग के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम भुज पड़ा है.
मन्नारसला (केरल )
केरल में स्थित ये नागमंदिर सबसे प्रसिद्द और सबसे अनोखे नागमंदिर में से एक है. इस मंदिर में चरों तरफ भिन्न भिन्न प्रकार के नागों की प्रतिमा बनी हुई है. ये मंदिर नागराज का है.
कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण का समय कोई ठीक ठीक नहीं जानता है.
इस मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि जब परशुराम ने हत्या के पाप मिटाने के लिए ऋषियों को केरल की धरती दान दी थी. इस बात से प्रसन्न होकर नागराजा ने परशुराम की इच्छा पर इसी स्थान पर निवास करने का निर्णय लिया. कला की दृष्टि से ये मंदिर बहुत ही सुंदर और अद्भुत है. हर साल लाखों लोग यहाँ घुमने और दर्शन के लिए आते है.
तिरुनागेश्वरम (तमिलनाडु )
यह एक शिव मंदिर है.
इस मंदिर में शिव की पूजा नागेश्वर के रूप में की जाती है.
कहा जाता है कि पुराणों में वर्णित प्रसिद्द नाग आदि शेष, दक्षन और कराकोताकन ने इस स्थान पर भगवान् शिव की तपस्या की थी.
तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने दर्शन दिए और इन सर्पों की इच्छा पूरी की. इस मंदिर के पास राहू का भी स्थान है. कथाओं के अनुसार राहू को सर्पों का देवता माना जाता है.
देखा आपने देश में कितने अनोखे स्थान है.
ऐसे ऐसे मंदिर है जहाँ विषैले कोबरा को भी देवता के रूप में पूजा जाता है. ऐसा सिर्फ भारत में ही हो सकता है. जहाँ घटक से घटक जीव के अंदर भी इश्वर का निवास माना जाता है.
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