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शक्तिपीठ (भाग-3): देवी के वो चमत्कारिक मंदिर जहाँ गिरे थे सती के कटे अंग

शक्ति स्वरूप देवी हर दुःख को हरने वाली और पाप का नाश करने वाली है.
देवी के अलग अलग रूप की अलग अलग महत्ता है. हर शक्तिपीठ में देवी के साथ भैरव रूप में शिव भी होते है. शिव और शक्ति के ये केंद्र शक्तिपीठ भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते है.
पिछले दो भागों में आपने शक्तिपीठों की कहानी और पहले 20 शक्तिपीठों के बारे में पढ़ा. आज आपको बताते है अगले 10 शक्तिपीठों के बारे में

रामागरि शक्तिपीठ
इस शक्तिपीठ का वास्तविक स्थान अज्ञात है. भिन्न भिन्न ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार इसका स्थान भी अलग अलग बताया जाता है. कुछ लोग इस शक्तिपीठ का स्थान उत्तर प्रदेश के चित्राकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं. ये वो स्थान है जहां माता का दाहिना स्तन गिरा था. यहाँ की शक्ति शिवानी तथा भैरव चण्ड हैं.

वैद्यनाथ शक्तिपीठ
झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर में स्थित वैद्यनाथ शक्तिपीठ देश के सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ में से एक है. हर वर्ष नवरात्रि पर यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है. ये वह स्थान है जहां माता का हृदय गिरा था. यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ है.
वैद्यनाथ शक्तिपीठ के बारे में ये भी कहा जाता है कि यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था. इसी कारण इस मंदिर की मान्यता बहुत ज्यादा है.

वक्त्रोश्वर शक्तिपीठ
ये शक्तिपीठ भी पश्चिम बंगाल के सैन्थया में ही  स्थित है. ये वह स्थान है जहां माता का मन गिरा था.
यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव वक्त्रानाथ हैं. बंगाल में देवी को सर्वाधिक इसी रूप में पूजा जाता है.

कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ
देश के आखिरी हिस्से में तीन समुद्रों के संगम पर स्थित है तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ीद्ध के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।

बहुला शक्तिपीठ
ये शक्तिपीठ भी पश्चिम बंगाल में स्थित है. कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में स्थित इस शक्तिपीठ को बहुला शक्तिपीठ कहते है , यहाँ  माता का वाम बाहु अर्थात कन्धा गिरा था. यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं.

उज्जयिनी शक्तिपीठ

मध्य प्रदेश में महाकाल के साथ ही उज्जैन में पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर स्थित है उज्जयिनी शक्तिपीठ. ये वो स्थान है जहां माता की कुहनी गिरी थी. यहां की शक्ति मंगल चण्डिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं.

मणिवेदिका शक्तिपीठ
देवी के गायत्री रूप के उपासकों के लिए ये सबसे बड़ा उपासना स्थल है.राजस्थान के पुष्कर में स्थित मणिदेविका शक्तिपीठ को गायत्री मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है. इस स्थान पर माता की कलाइयां गिरी थीं. यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानन्द हैं.

प्रयाग शक्तिपीठ
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जहाँ गंगा यमुना और सरस्वती नदी का संगम है वहीँ ये शक्तिपीठ है. प्रयाग के तीन अलग अलग स्थानों पर इस शक्तिपीठ के होने की बात कही जाती है. ये वह स्थान था जहाँ माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थी. प्रयाग के अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों में देवी का स्थान माना जाता है. तीनों शक्तिपीठ की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव है.

विरजाक्षेत्रा, उत्कल शक्तिपीठ
इस शक्तिपीठ का स्थान उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है. कहा जाता है कि इस स्थान पर माता की नाभि गिरी थी .
यहां की शक्ति  विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।

कांची शक्तिपीठ
तमिलनाडु के कांचीवरम् में स्थित है माता का कांची शक्तिपीठ. यह शक्तिपीठ यहाँ के शंकराचार्य की वजह से हमेशा चर्चा में रहता है. दक्षिण भारत में यह शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध है. ये वह स्थान है जहाँ माता का कंकाल गिरा था. यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं.

नवरात्रि में इन शक्तिपीठों की यात्रा का विशेष महात्म्य है. हर शक्तिपीठ में देवी का एक अलग रूप है और हर अलग रूप की मूर्ति का स्वरूप और देवी के गुण भी अलग अलग है.  इस श्रृंखला के पहले दो भागों को यहाँ पढ़े

भाग -1  भाग -2

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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