शिरडी साई बाबा संस्थान ट्रस्ट से हम अपील कर रहे हैं कि वह इन सवालों का जवाब, यन्गिस्थान तक जल्द से जल्द पहुंचाए, ताकि साईं जी के भक्तों के सामने सारी तस्वीर साफ़ हो सके.
कभी संत साईं ने सोचा नहीं था कि समाधी लेने के बाद, देश में इनका नाम एक ब्रांड के तौर प्रयोग किया जायेगा. आज संत साईं के मंदिर में, गरीब को दर्शन के लिए इंतज़ार करना होगा और अमीर को पैसों के दम पर, दर्शन और साईं का आशीर्वाद जल्दी मिल जायेगा.
कल साई बाबा संस्थान ट्रस्ट ने सूचना जारी की, कि अब आरती के नाम पर संस्थान, लोगों से पैसे लेगी. ककड़ आरती के लिए वीआईपी पास के लिए 500 रुपये शुल्क होगा. बाकी आरतियों के लिए 300 और शनिवार और रविवार के दिन प्रति व्यक्ति वीआईपी दर्शन का शुल्क 100 रुपये रखा गया है.
लेकिन सवाल यह है कि साईं बाबा को आखिर क्यों व्यापार का माध्यम बनाया जा रहा है? दर्शन के लिए आखिर क्यों आरक्षण की आवश्यकता पड़ी है?
इन 9 सवालों का जवाब दे, शिरडी साई बाबा संस्थान ट्रस्ट-
आपको समझना चाइये कि साईं जी को समाज का इतना प्यार इसीलिए मिला है क्योकि आज तक साईं जी सभी लोगों के हैं, साईं के दरबार पर अमीर और गरीब का भेद कभी नहीं किया गया, तो अब क्यों और किसके दबाव में आकर ऐसा किया जा रहा है?
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