धर्म और भाग्य

शिर्डी के साईंबाबा के बारे में ये बाते जानकर हो जाएंगें हैरान

शिर्डी के साईंबाबा के अनन्य भक्त उन पर असीम विश्वास रखते हैं औऱ मानते हैं कि सांई की भक्ति उन्हे दुनिया की हर मंज़िल का रास्ता दिखाएगी, जब कोई नज़र नहीं आते तो भक्त पूरी श्रध्दा और विश्वास के साथ सांई नाथ के आगे झोली फैलाते हैं और इस बात की पूरी आस्था रखते हैं कि सांई नाथ उनके जीवन के कष्टों को दूर करेंगे और उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे, और सांई नाथ भी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं और उनकी नैया को पार लगाते हैं।

कहा जाता है कि सांई का मूल धाम शिरडी रहा है वहां रहकर वो अपनी दिव्य भभूति से दीन दुखियों के कष्ट दूर कर देते थे.

सांई के भक्तों की सूची काफी लम्बी है जिन में आप भी शुमार हैं और मै भी, लेकिन अपने आराध्य सांई बाबा से जुड़ी ऐसी कईं बाते हैं जिनसे आप और मै, हमसब अनजान हैं.

आइए आज आपको शिर्डी के साईंबाबा के बारे में बताते हैं-

1- शिर्डी के साईंबाबा के जीवन औऱ उनसे जुड़ी जानकारियों का विवरण वैसे तो कईं जगह मिलता है लेकिन उन पर प्रमुख रूप से तीन किताबें लिखी गईं हैं जो कि ‘श्री सांईं सच्चरित्र’, ‘ए यूनिक सेंट सांईंबाबा ऑफ शिर्डी’ और ‘सद्‍गुरु सांईं दर्शन’ (एक बैरागी की स्मरण गाथा) हैं। इन किताबों में सांईं से जुड़ी हर उस बात का ज़िक्र है जिसे उनका हर भक्त जानना चाहेगा।

2- शिर्डी के साईंबाबा कब और कहां जन्मे थे, ये सवाल भी उन कुछ सवालों में से होगा जिनका जवाब आप जानना चाहते होंगे तो आपको बता दें कि सांई बाबा का जन्म महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में 27 सितंबर 1830 को हुआ था। यहां सांई बाबा के जन्म स्थान पर एक मन्दिर भी बना हुआ है जिस में सांई बाबा की प्रतिमा स्थापित है। यहां मौजूद सामान और उनके मकान के अवशेषों की देखरेख अब सांई स्मारकर ट्रस्ट कर रहा है जिसने सांईं बाबा के वंशज रघुनाथ भुसारी से ये मकान खरीद लिया था।

3- शिर्डी के साईंबाबा के पिता का नाम परशुराम भुसारी और माता का नाम अनुसूया था जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था। अपने पांच भाई-बहनों में सांई बाबा तीसरे नम्बर पर थे।

4-सांईं बाबा के वंशज आज भी औरंगाबाद, निजामाबाद और हैदराबाद में रहते हैं। सांई बाबा के भाईयों के बेटे और बेटियां आज भी उनके वंश का बखूबी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

5- ऐसा कहा जाता है कि पिता की मृत्यु के बाद पाथरी से बाबा को वली नामक एक सूफी फकीर लेकर चले गए इसके बाद बाबा के जीवन के एक नए अध्याय की शुरूआत हुई।

6- एक फकीर के रूप में विचरण करते हुए सांई कईं बुध्दिजीवियों से मिले और इसके बाद सांईं बाबा घूमते-फिरते शिर्डी पहुंचे। वहां बाबा ने सबसे पहले खंडोबा मंदिर के दर्शन किए फिर नीम के पेड़ के पास पहुंच गए। नीम के पेड़ के नीचे उसके आसपास एक चबूतरा बना था। आज दुनियाभर में साईं बाबा के करोड़ों भक्‍त हैं और इनके शिर्डी के मंदिर में अरबों का चढ़ावा आता है।

उम्मीद है कि शिर्डी के साईंबाबा से जुड़ी ये रोचक जानकारियां आपको पसंद आईं होगी, अपने आराध्य सांई बाबा से जुड़ी इन जानकारियों को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें और उन्हे भी लाभान्वित करें।

Parul Rohtagi

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