धर्म और भाग्य

इस्लाम के 3 सबसे बड़े सच जो आज भी लोगों से छुपाए जा रहे हैं

इस्लाम के सच – इस्लाम दुनिया के सबसे नए धर्मों में से एक है जिसे आज से सैकड़ों साल पहले सातवीं शताब्दी में मोहम्मद ने अरब के मक्का में लोगों को इस से रूबरू कराया था.

लेकिन फिर भी कहा जाता है कि मोहम्मद के जन्म से पहले से ही इस्लाम इस दुनिया में आ चुका था मोहम्मद तो केवल एक जरिया थे जिनके कारण आज सारी दुनिया को कुरान से परिचित है.

दोस्तों आज हम आपको इसी इस्लाम के सच – इस्लाम धर्म के बाले में ऐसी 3 बाते बताने जा रहे हैं जिन्हें आज तक दुनिया से छिपाया गया है. और इसके बाद आप भी इस्लाम को ठीक तरह से समझ पाएंगे और इसकी इज्जत करने लगेंगे.

इस्लाम के सच –

१. इस्लाम धर्म सिर्फ पूर्वी देशों तक सीमित नहीं था. आज तक लोगों से इतना बड़ा सच छिपाया गया है कि आम धारणा के अनुसार इस्लाम धर्म काफी लंबे समय तक पश्चिम देशों में आया ही नहीं था और यह सिर्फ पूर्वी देशों तक सीमित था लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है. इस्लाम सदियों से यूरोपीय इतिहास का केंद्रीय हिस्सा रहा है. मुस्लिम स्कॉलर्स ने बताया कि मध्यकालीन यूरोप और इस्लाम के बीच संबंधो के इतिहास को दो दुनिया के संबंध के इतिहास में देखना बुनियादी गलती है.

२. इस्लाम में बदन पर बारूद बांधकर बेगुनाहों को मारना पाप है. यह विडंबना ही है कि कुछ लोग इस काम को सही ठहराते हैं. लगभग सभी मुस्लिम स्कॉल्र्स ने आत्मघाती हमला करने वाले धर्म से नहीं बल्कि राजनीति और राष्ट्रवाद के उद्देश्य से प्रेरित हो कर ऐसे कदम उठाए हैं जिनकी वजह से अनजाने में वह अपने धर्म की बदनामी कर रहे हैं. लेकिन एक तरफ से देखा जाए तो वे भी बेगुनाह ही हैं इन सभी आतंकवादियों को धर्म के नाम पर राजनीतिक मोहरा बनाया जाता है.

३. इस्लाम में बुरखे को सांस्कृतिक परंपरा माना गया है इस्लामी जरूरत नहीं. माना जाता है कि इस्लाम में शालीनता बरकरार रखने के लिए महिलाओं को बुर्खा पहनना अनिवार्य है. कुरान महिलाओं और पुरुषों के लिए सलीके से कपड़े पहनने की बात करता है लेकिन कुरान में कही भी इस बात का जिक्र नहीं ऐ कि चेहरा ढँकना जरूरी है. ज्यादातर मुस्लिम स्कॉलर्स का मानना है कि बुरखे का चलन धार्मिक कारण से नहीं बल्कि सामाजिक परंपराओं की वजह से हुआ था. जिसके कारण आज इस्लाम को मानने वाली महिलाए अपना चेहरा तक ढकने पर मजबूर हो जाती हैं.

ये है इस्लाम के सच – दोस्तो ऐसा नहीं है कि इन सभी बातों को जानबूझकर दुनिया से छिपाया गया है बल्कि इसके पीछे भी कही ना कही राजनीतिक कारण ही हैं. दुनिया में इस्लाम को लेकर आतंक इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि इस्लाम को मानने वाले व्यक्ति को दुनिया के अन्य धर्मों के खिलाफ़ भडकाना बेहद आसान हो चुका है. आप सभी को जानकर हैरानी होगी की जितने भी लोग आतंकवाद को अपनाते हैं उन में से कई अनाथ होते हैं तो कइयों को अपने परिवार द्वारा बेच दिया जाता है. ऐसे में इस लोगों के पास या तो मौत एक विकल्प बचता है या फिर आतंकवाद.

और दोस्तो ऐसा जरूरी नहीं है कि दुनिया में हर दूसरा आतंकवादी संगठन या साथी एक मुसलमान हो.

Shivam Rohatgi

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