फेसबुक ने घोषणा की है कि वह लोगों को उनके स्मार्ट फोन के जरिए ऑगमेन्टेड रियलिटी की दुनिया में ले जाना चाहती है.
इस मिशन को सच बनाने के लिए फेसबुक के इंजीनियर जी जान से लगे पड़े हैं.
पर यह ऑगमेन्टेड रियलिटी है क्या?
दरअसल ऑगमेन्टेड रियलिटी ‘मीडिएटेड रिएलिटी’ से मिलती-जुलती अवधारणा है.
ऑगमेन्टेड रियलिटी के अंतर्गत जब आप वास्तविक वातावरण को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देखते हैं तो आपको कुछ ऐसे तत्व भी दिखाई, सुनाई या महसूस होते हैं जो वास्तविक न होकर कंप्यूटर जनित होते हैं. वास्तविक वातावरण में ये कृत्रिम तत्व आवाज, वीडियो, ग्राफिक या जीपीएस डाटा आदि के रूप में हो सकते हैं.
फिलहाल इन एपलिकेशन्स में है ऑगमेन्टेड रियलिटी का फीचर
फोकेमॉन गो खेलने वाले लोग ऑगमेन्टेड रियलियी देखते हैं. इस खेल को खेलने वाले लोग अपने आसपास के वास्तविक वातावरण में एनीमेटेड जीव देख पाते हैं. स्नैपचैट में भी ऑगमेन्टेड रियलिटी के फीचर हैं. चेहरे पर तरह तरह के एनीमेटेड किरादारों के मुखौटे लगाकर चैट करना और ‘पेंट द वर्ल्ड अराउंड यू इन 3डी’ जैसे स्नैपचैट के फीचर ऑगमेन्टेड रियलिटी पर अधारित हैं.
क्यों महत्वपूर्ण है फेसबुक का इस दिशा में कदम बढ़ाना
फेसबुक ने इस दिशा में अपेक्षाकृत देर से कदम बढ़ाया है लेकिन फेसबुक के यूजरबेस के मद्देनजर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह दुनिया की एक बड़ी आबादी की दुनिया देखने की नजर को बदल कर रख देगा. अपनी इस योजना को लकर फेसबुक के सीईओ जकरबर्ग ने कहा कि, “ऑगमेन्टेड रियलिटी असली और डिजिटल दुनिया को एक बिल्कुल ही नये अंदाज में मिला देगा.”
फेसबुक की योजना बस इतनी ही नहीं है.
जकरबर्ग सिलिकॉन वैली में अपने सालाना डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस की शुरुआत करते हुए बताया कि फिलहाल इसकी दुनिया लोगों के मौजूदा स्मार्टफोन के कैमरे के जरिए ही खोला जाएगा और इसके लिए उन्हें किसी अतरिक्त उपकरण की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन आगे चलकर फेसबुक की योजना ऐसे चश्मे बनाने की है जो दिखने में बिल्कुल आम चश्मे की तरह होंगे लेकिन इन्हें आंखों पर लगाते ही आप आम दुनिया से निकलकर ऑगमेन्टेड की दुनिया में पहुंच जाएंगे.