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सबक सिखाने के लिए चीन के इस दुश्मन ने तैयार किया है ये हथियार

अमेरिका का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एफ-35 लाइटनिंग अब पूरी तरह से तैयार है।

लड़ाकू विमान एफ-35 लाइटनिंग विश्व का अब तक का सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास का सबसे महंगा हथियार भी है।

अमेरिका के इस हथियार के तैयार हो जाने के बाद सबसे ज्यादा चिंता चीन को है।

गौरतलब है कि चीन ने 1 नवम्बर 2016 को जुहाई एयर-शो में अपने पांचवी पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान जे-20 को प्रदर्शित किया। चीन अमेरिका के बाद स्टेल्थ विमान बनाने वाला दूसरा देश है।

यह एक प्रकार से चीन की अमेरिका को चुनौती थी।

उस वक्त कहा गया था कि चीन ने स्वदेश निर्मित यह स्टेल्थ विमान अमेरिका को ध्यान में रखकर बनाया है। चीन के जे-20 विमान की तुलना अमेरिका के एफ-22 की जा रही थी। जो रडार की पकड़ में नहीं आता है। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस जे-20 लड़ाकू विमानों को दक्षिण चीन सागर पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। जो एक प्रकार से सीधे सीधे अमेरिका के लिए चेतावनी है।

वहीं अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि एफ-35ए फाइटर प्लेन को विकसित करने में उसने 400 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। इस विमान को विकसित करने में पेंटागन को 15 साल का लंबा समय लगा। लेकिन इस विमान के आने के बाद अब चीन के साथ रूस भी चिंता में पड़ गया है।

एक सीट और एक इंजन वाले अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एफ 35 की खासियत है कि यह जमीनी हमले, टोह लेने, निगरानी और वायु सुरक्षा अभियानों जैसे बहुत से कार्यों को किसी भी मौसम में बखूबी अंजाम दे सकता है।

इस विमान का निर्माण अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन कर रही है। इस विमान की लंबाई 15.67 मीटर, चैड़ाई 10.7 मीटर और उंचाई 4.33 मीटर है। इसके मल्टीरोल फाइटर प्लेन की स्पीड 1,930 किमी प्रति घंटा होगी।

लड़ाकू विमान एफ-35 लाइटनिंग को एसबीडी-2 (स्मॉल डाईमीटर बम्ब-2) से लैस किया है। इस तकनीक की मदद से पायलट किसी भी मौसम से अपने टारगेट को लेजर, इन्फरारेट और रडार के माध्यम निशाना साध सकता है। यही नहीं यह विमान सामान्य रनवे सेया हॉरिजॉन्टल उड़ान भर सकता है।

अमेरिका इसके अलावा एफ-35बी और एफ-35सी भी विकसित कर रहा है।

अमेरिका और चीन के बाद भारत में इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। भारत भी चाहता है कि क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए उसके जंगी बेड़े में पांचवी पीढ़ी के युद्धक विमान का होना बहुत जरूरी है। लिहाजा भारत के रक्षा विभाग ने भी रूस के साथ मिलकर इस दिशा में अपने कदम बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू कर दी हैं

Vivek Tyagi

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