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मरने से पहले ही इस तरह ले सकते है ‘मृत्यु का अनुभव’

मृत्यु का अनुभव – अक्सर लोग सोचते है कि मरने के बाद लोगों को किस तरह का अनुभव होता है.

लेकिन किसी को भी इसका आज तक अनुभव नहीं मिल सका है क्योंकि मृत्यु का अनुभव लेने के लिए भी तो मरना ही होगा और मरने के बाद कोई भी शख्स अपना अनुभव शेयर करने के लिए जिंदा नहीं हो सकता है. लेकिन आपसे कहा जाए कि  आप बिना मरे भी मृत्यु का अनुभव ले सकते है तो कैसा रहेगा.

दरअसल साउथ कोरिया की एक संस्था आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले लोगो को मृत्यु का अनुभव करवाकर उनका ट्रीटमेंट करती है.

‘मृत्यु का अनुभव’ करवाने के पीछे कारण-

बताया जा रहा है कि साउथ कोरिया जैसे देश में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए वहां पर ये संस्था शुरू की गई जिसमें मृत्यु का अनुभव दिखाकर आत्महत्या के मामलो को कम किया जा रहा है. इस विकसित की गई नई विधि के तहत मरीजों को लकड़ी के ताबूतों के अंदर बंद कर दिया जाता है ताकि उन्हें मृत्यु का अनुभव हो सके. मृत्यु का अनुभव कराने वाली इस संस्था का नाम ‘ह्यावों हीलिंग सेंटर’ है और यह साउथ कोरिया के सियोल में स्थित है. इस हीलिंग सेंटर के लोगों का मानना है कि इस नकली मौत के बाद लोग जिंदगी को ज्यादा महत्त्व देने लगते है. आपको बता दें कि साउथ कोरिया ऐसा देश है जहाँ आत्महत्या की दर काफी तेजी से बढ़ रही है. एक सर्वे के अनुसार इस देश में हर रोज़ करीब 40 लोग आत्महत्या कर लेते है. आत्महत्या की बढती दर के पीछे एक्सपर्ट का कहना है कि इस देश का अति-प्रतियोगितावादी वातावरण ही इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है.

आते है सभी उम्र वर्ग के लोग-

इस हीलिंग सेंटर के लोगों का कहना है कि उनके पास हर वर्ग के लोग रोजाना काफी संख्या में आते है. जिनमें किशोर, उम्रदराज माता-पिता और बुजुर्ग लोग शामिल है. जहाँ किशोर स्कूल और पढ़ाई का दबाव झेलने में असफल होते है वहीं बुजुर्गों को अकेलेपन का डर सताता है, बाकि लोगों को आजकल की लाइफस्टाइल के चलते कई सारी चिंताएं घेरे रहती है.

ऐसे करवाया जाता है मृत्यु का अनुभव-

इस हीलिंग सेंटर में आने वाले हर शख्स को मृत्यु का अनुभव करवाने के लिए सबसे पहले सफ़ेद चोगा पहना दिया जाता है फिर कतार में रखे कई सारे ताबूतों के अंदर बैठा दिया जाता है. इसके बाद उनको एक पेन और एक पेपर दे दिया जाता है. इसके बाद इस संस्था के प्रमुख जियोंग योंग मुन उनसे थोड़ी देर तक बात करते है और उन्हें समझाते है कि मुसीबतों से भागना नहीं चाहिए और विपरीत परिस्थितियों को भी जीवन का हिस्सा समझकर उनका आनंद लेना चाहिए. इसके बाद इन सभी लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है. उसके बाद उनसे उनकी वसीयत और विदाई पत्र लिखवाया जाता है फिर ताबूत में लिटाने के बाद उनकी अंतिम संस्कार वाली तस्वीरे खिंची जाती है.

फिर मृत्यु की देवी कमरे में प्रवेश करती है-

अंतिम संस्कार संपन्न कराये जाने के बाद ताबूत में लेटे हुए लोगों से कहा जाता है कि अब जीवन के उस पार जाने का समय आ गया है. मोमबत्तियां जला दी जाती है और मृत्यु की देवी कमरे में प्रवेश करती है और सभी ताबूतों को बंद कर देती है. इसके बाद करीब 10 मिनट के लिए उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है उसके बाद वे जिंदगी के बाद के सूनेपन का और मृत्यु का अनुभव करते है. 10 मिनट बाद जब इन लोगों को ताबूतों से बाहर निकाला जाता है तो वे पहले से ज्यादा तरोताजा और मुक्त महसूस करते है.

इस तरह यहाँ पर लोगों को मरने से पहले ही मृत्यु का अनुभव दे दिया जाता है. इस अनुभव को लेने वाले लोगों का दावा है कि वे इससे पहले से ज्यादा हल्का और मुक्त महसूस करते है और उन्हें जिंदगी की असल कीमत पता चली है.

क्या आप भी लेना चाहेंगे मरने से पहले ‘मृत्यु का अनुभव’?

Sudheer A Singh

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Sudheer A Singh

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