सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत महत्व है, इस दिन को गुरु पूर्णिमा भी कहते हैं.
दरअसल, इसी दिन सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस दिन को गुरुनानक जयंती और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है.
चलिए आपको बताते हैं सिख धर्म की शुरुआत कैसे हुई थी और गुरुनानक कैसे सिखों के गुरु बनें.
गुरुनानक देव बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के थे. जब वो थोड़े बड़े हुए तो उनके पिता ने उन्हें गायों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी, लेकिन नानक जी बीच-बीच में ध्यान करने लग जाते थे और गाय दूसरे लोगों के खेतों में जाकर उनकी फसल खराब कर देती थीं. ये सब देखकर गुरुनानक जी के पिता उनसे काफी गुस्सा हो जाते थे. लेकिन गांव के लोगों ने गुरुनानक के साथ कई चमत्कारी चीजें होती देखीं. इसके बाद गांव के लोगों को लगता था कि गुरुनानक जरूर संत हैं.
हालांकि गुरुनानक की व्यवहार से उनके पिता उनसे परेशान हो चुके थे. नानक के पिता ने उन्हें काम के लिए नानकी के घर रहने भेज दिया. वहां कुछ दिनों के बाद नानक की मुलाकात वहां एक मुस्लिम कवि मरदाना से हुई. वे हर सुबह काम पर जाने से पहले उनसे मिलते और नदी के किनारे बैठकर ध्यान करते. ये देखकर वहां के लोगों को काफी आश्चर्य हुआ कि दो अलग धर्म के लोग एक साथ कैसे ध्यान कर सकते हैं.
एक दिन नानक मरदाना के साथ नदी किनारे ध्यान करने और नहाने गए. नानक नदी के पानी में उतरे और वहीं गायब हो गए. लोगों को लगा कि अब नानक नदी में डूब चुके हैं अब वह कभी वापस नहीं लौटेंगे. लेकिन तीन दिन के बाद नानक ‘ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान’ कहते हुए नदी से बाहर आ निकले. ये देखने के बाद सभी का मानना था कि नानक कोई संत है. और सभी लोगों ने उन्हें ‘गुरु’ कहना शुरू किया. तभी से उनको गुरुनानक कहा जाने लगा.
इसके बाद नानक ने ध्यान करने में विलीन हो गए. उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. अपना सारा सामान गरीबों में बांट दिया. अपनी पत्नी और बच्चों के लिए सभी सुविधाओं का इंतजाम किया और मरदाना के साथ धार्मिक यात्रा पर निकल गए. दोनों ने जगह-जगह जाकर लोगों को धर्म से जुड़ी जानकारी देनी शुरू की. सिख धर्म की शुरुआत सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरुनानक देव जी ने दक्षिण एशिया के पंजाब में की थी. उस समय पंजाब में हिंदू और इस्लाम धर्म था. तब गुरुनानक देव ने लोगों को सिख धर्म की जानकारी देनी शुरू की, जो इस्लाम और हिंदू धर्म से काफी अलग था.
गुरुनानक देव के बाद 9 गुरु और आए, जिन्होंने सिख धर्म को बढ़ाया. सिख धर्म के 5वें धर्म गुरु ‘गुरु अर्जुन’ के समय तक सिख धर्म पूरी तरह से स्थापित हो चुका था. उन्होंने सिखों के आदि ग्रंथ नामक धर्म ग्रंथ का संकलन भी किया था.
सिख धर्म में गुरुनानक को भगवान की तरह पूजा जाता है और उनके अनमोल वचन लोगों के लिए बहुत अहमियत रखते हैं.