विवाह संस्कार – हिंदू धर्म में जब बच्चा पैदा होता है तो उसके साथ 16 संस्कार किये जाते है.
उन्ही में एक संस्कार है गृहस्थाश्रम संस्कार, जिसके अंतर्गत विवाह संस्कार भी आता है. यानि आने वाली पीढ़ी को बढा़ने के लिये किया जाने वाला संस्कार है विवाह संस्कार. जहां दो आत्माओं का समावेश होता है. वि+वाह का मतलब है विशेष रूप से वहन करना.
वेद, पुराणों को भूलना
अब 21वीं सदी में लोग मार्डन होते जा रहे हैं, वहीं वे अपने धर्म, रीति-रिवाज और मान्यताओं को छोड़ते जा रहे हैं. भारत में पश्चिमी सभ्यता का कुछ ज्यादा ही प्रचलन इन दिनों चल रहा है, जिसके चलते हम अपने हिंदू धर्म को भूलते जा रहे हैं.हमारा देश ऋषियों-मुनियों का देश है,जहां पर वेद, पुराण, ग्रंथ सभी लिखे गये. लेकिन आज के नौजवानों को हिंदू धर्म में वेद कितने है, पुराण कितने हैं, यहां तक की उन्हें रामायण और महाभारत की कहानी तक पता नहीं है.
आप अपनी पत्नी के चौथे पति है?
आज हम आपको वेदों से जुड़ी एक बात बताने जा रहें हैं, उस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन ये बात सच है.क्या आप जानते हैं कि अपनी पत्नी के आप चौथे पति हैं? सुनकर हैरान हो गए आप. जी हां, आप सही सुन रहे हैं, आप अपनी पत्नी के चौथे ही पति है. अब आप सोच रहे होंगे कि मेरी पत्नी और मेरी शादी तो पहली शादी है तो मैं अपनी बीवी का चौथा पति कैसे हुआ.तो घबराएं नहीं हम आपको इसका रहस्य बता रहे हैं.
मंत्रों में छिपा है चौथा पति होने का राज
दरअसल जब आपकी शादी होती है तो आप मंडप में बैठते हैं और सात फेरे लेने के लिये तैयार रहते हैं. लेकिन आपको ये नहीं पता होता कि सामने बैठा पंडित बोल क्या रहा है? यानि उसके मंत्रों का मतलब आपको समझ नहीं आता है. इसलिये आप समझ ही नहीं पाते कि पंडित के मंत्रोच्चारण का मतलब है क्या. अगर आपको इन मंत्रों का मतलब समझ आ जाएगा तो आप समझ लेंगे कि आपका नंबर चौथा ही है. असल में वैदिक परंपरा के नियम है कि दुल्हन को उसके पति से पहले उसका स्वामित्व तीन अन्य लोगों को भी सौंपा जाता है.
नारी चार लोगों से विवाह कर सकती है
साथ ही एक नारी अपनी इच्छानुसार चार पुरूषों को अपना पति बना सकती है. इसी मर्यादा का पालन करने के लिये दुल्हन का विवाह पति से पहले तीन देवताओं से करा दिया जाता है. ताकि वे अपनी पति के प्रति हमेशा समर्पित रहे. इस नियम को प्राचीन काल में उद्दालक ऋषि के पुत्र श्वेतकेतु ने लागू किया था, जिसका आजतक हमसब पालन कर रहे हैं.
जानिए कौन होते है वो तीन पति
पंडित जी सबसे पहले दुल्हन का विवाह चंद्रमा से करवाते हैं. यानि दुल्हन पर पहला अधिकार चंद्रमा का होता है. दूसरा अधिकार विश्वावसु नाम के गंधर्व को दिया जाता है. उसके बाद तीसरा स्वामित्व अग्निदेव को और चौथा यानि आखिरी स्वामित्व उसके पति को दिया जाता है.
पुरातन काल की कथा
विवाह संस्कार – इससे संबंधित एक कहानी भी है. जो महाभारत के समय की है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था. इस नियम के अनुसार तो उसने अपनी पतिव्रता का त्याग करते हुए पांच पुरुषों से शादी की थी. इसलिये कर्ण ने पांचाली को वैश्या कहकर अपमानित किया था. यदि द्रौपदी केवल 4 पुरुषों से विवाह करती तो उस समय कर्ण का यह कहना न्याय संगत और सामाजिक रूप से गलत होता.