अगर ज़ुबानों की बात करे तो आज ग्लोबल स्तर पर सबसे ज्यादा बोले जाने वाली ज़ुबान कोई हैं तो वह अंग्रेज़ी हैं.
विश्व के लगभग हर जगह, हर क्षेत्र में अंग्रेज़ी भाषा का ही इस्तेमाल किया जाता हैं. लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में आज भी अंग्रेज़ी ज़ुबान हौव्वा के रूप में प्रचलित हैं.
भारत के कुछ मुख्य और बड़े शहरों को छोड़ दे तो देश के बाकि इलाकों में आज भी अंग्रेज़ी सभी लोगों के लिए एक ऐसी चीज़ हैं जिसे अंग्रेज़ ही इस्तेमाल करते थे. भारत में अंग्रेज़ी की हालत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि भारत में आज भी केवल 30% लोग ही अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल कर पाते हैं और इन आकड़ों में मेट्रो सिटीज के लोगों की संख्या भारत के बाकि शहर के लोगों से ज्यादा हैं.
भारत में अंग्रेज़ी की स्थिति और विश्वस्तर पर अंग्रेज़ी भाषा की महता को देखते हुए अब सरकार और कई संस्थानें ने पहल कर के लोगों को खासकर स्कूली बच्चों को अंग्रेज़ी के साथ जोड़ने की शुरुआत कर रही हैं. इस शुरुआत के तहत “इंग्लिश टीचर फ़ोरम” और “शिक्षक परिषद्” ने एक नयी सोच के साथ बच्चों को पढ़ाने वाले टीचरों को ही अधिक कुशल बनाने की सोच दी.
अपने इस विचार को व्यवहारिक रूप देने के लिए यह दोनों संस्थाएं एक साथ मिलकर एक कार्यशाला का आयोजन कर रही हैं.
11 सितम्बर से शुरू होने वाली इस वर्कशॉप में अंग्रेज़ी भाषा को और प्रभावी तरीके से लोगों तक कैसे पहुचाया जाये इसकी जानकारी देने के लिए ठाणे के थिरानी स्कुल में इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा हैं.
उम्मीद यह जताई जा रही हैं कि इस कार्यशाला में 9वीं और 10वीं क्लास को अंग्रेज़ी पढ़ाने वाले लगभग 105 शिक्षक हिस्सा लेने वाले हैं.
मुंबई शिक्षक परिषद् के अध्यक्ष अनिल बोरनारे ने इस विषय में बात करते हुए बताया कि इस वर्कशॉप को आयोजित करने के पीछे हमारा यही मकसद हैं कि अंग्रेज़ी भाषा को स्टूडेंट तक इस तरह से पहुचाया जाये कि उनमे इस भाषा को सीखने की रूचि पैदा हो सके और इसके लिए यह ज़रूरी हैं कि बच्चों को अंग्रेज़ी सिखाने शिक्षक पहले खुद अंग्रेज़ी ज़ुबान की जटिलताओं को समझे और उसे आसान बनाकर बच्चों तक पहुचाएं. इसके साथ इस कार्यशाला में उन शिक्षकों को यह भी बताया जायेगा कि अंग्रेज़ी के प्रश्नपत्र और अपने पढ़ाने के तरीके में क्या बदलाव किया जाये ताकि अंग्रेज़ी बच्चों के लिए सामान्य भाषा बन सके.
फोरम द्वारा आयोजित इस वर्क शॉप में यह भी बताया गया कि हर रोज़ विकसित होती पढ़ाने की नयी-नयी तकनीकों से सभी टीचर कैसे परिचित हो ताकि वह बच्चों को अंग्रेज़ी और इस विषय से जुड़ी सभी बातें उन्हें जानकारी के रूप में उपलब्ध करा सके.