इंग्लैंड की टीम – जिस देश ने फुटबॉल जैसे खेल की शुरुआत की वो खुद फुटबॉल विश्वकप के सेमीफाइनल में 28 साल बाद पहुंचा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं इंग्लैंड फुटबॉल टीम की.
इंग्लैंड की टीम को यूरो 2016 के प्री क्वार्टर में इंग्लैंड को छोटे से देश आइसलैंड ने बाहर कर दिया था, उस हार से सबक लेते हुए इस बार इंग्लैंड की फुटबॉल टीम ने खुद को बहुत मज़बूत बनाया और विश्व कप के प्रबल दावेदारों में से एक बन गई.
इंग्लैंड की टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई है और जाहिर है इससे इंग्लैंड के लोग बहुत खुश होंगे, मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटेन के बाकी देश नहीं चाहते की इंग्लैंड ये विश्व कप जीते.
दरअसल, यूनाइटेड किंगडम चार देशों से मिलकर बना है इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और आयरलैंड. जिसमें इंग्लैंड सबसे शक्तिशाली और संसाधन संपन्न माना जाता है, मगर बाकी के देश इसे सहयोग नहीं करते. ब्रिटेन ओलपंकि में तो एक की टीम भेजता है और ओलपंकि में बाकी देशों की इंग्लैंड से कोई खास प्रतियोगिता नहीं रहती, मगर जब बात फुटबॉल और रग्बी की आती है तो ब्रिटेन के बाकी देशों की इंग्लैंड से प्रतिद्वंद्विता इस कदर है कि वहां के खेलप्रेमी दुआ करते हैं कि कोई भी जीते लेकिन इंग्लैंड की टीम नहीं जीतनी चाहिए. साफ है कि बाकी के देश इंग्लैंड से बहुत नफरत करते हैं.
इंग्लैंड के इन पड़ोसी देशों के लोंगो की ये आदत अब बदली तो नहीं जा सकती. ऐसे बुधवार को जेरेथ साउथगेट की टीम अपने सबसे बड़े मुकाबले में उतरेगी तो इनमें से किसी देश में इंग्लैंड के गोल पर ताली नहीं बजेगी.
इंग्लैंड ब्रिटेन में सबसे ज्यादा दबदबे वाला देश है जिसके पास अधिक संसाधन और अधिक खिलाड़ी है और खेलों में सफलता भी उसे अधिक मिली है हो सकता है बाकि के देश इसी वजह से इंग्लैंड से इर्ष्या करते हों.
स्काटलैंड के पूर्व विंबलडन चैम्पियन एंडी मर्रे ने 2006 विश्व कप में कहा था कि वह इंग्लैंड को छोड़कर हर टीम के साथ है. स्काटलैंड के द नेशनल अखबार में कैरोलिन लोकी ने लिखा, ‘हम इस सेमीफाइनल में क्रोएशिया के साथ हैं.’
वेल्स में तो लोगों ने इंग्लैंड की हर प्रतियोगी टीम के झंडे लगा रखे हैं. हर मैच में वो इंग्लैंड की विरोधी टीम को सपोर्ट करते हैं.
ब्रिटेन एक यूरोपीय महाद्वीप है जो चार देशों से मिलकर बना है, ऐसे में अगर उसी द्वीप के बाकी साथी इंग्लैंड की जात पर जश्न नहीं मनाते और उसके हार की कामना करते हैं तो जाहिर है की जीत की खुशी कहीं न कहीं कम हो ही जाती है.