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खुलासा : भारत में लड़कियों के सबसे बड़े दुश्मन का चला पता

दुनिया में महिलाएं कहाँ से कहाँ पहुँच रही हैं, लेकिन हमारे देश में अभी भी महिलाएं सबकुछ हासिल करने के बाद भी पुरुषों की पैरों टेल ही रहती हैं. उन्हें अभी तक ये दर्जा नहीं मिला है कि वो उनसे ऊपर हो जाएं या उन्हें किसी काम के लिए पुरुषों से ज्यादा सामान मिल जाए. हर पल, हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने और हर साल महिलाओं के खिलाफ कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है. भारत में लड़कियों और महिलाओं की स्थिति का ज़िम्मेदार कौन है, इसका पता चल गया है.

NCRB यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने २०१६ की क्राइम रिपोर्ट जारी की है. इसमें महिलाओं के सतह होने वाले अन्याय को दर्शाया गया है.  इस रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में किसी तरह की कमी देखने को नहीं मिली है. जहां 2014 के मुकाबले 2015 में औरतों के खिलाफ अपराध में 3 प्रतिशत की कमी देखी गई थी, वहीं 2016 में ये 2.9 प्रतिशत बढ़ गए हैं.

चौंकाने वाली बात ये है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ रहे आपराधिक मामले किसी और पुरुष या लड़कों द्वारा नहीं बल्कि उनके अपने ही पति द्वारा किये गए हैं. इस खुलासे में ये बात सामने आई है कि महिलाओं के सतह सबसे ज्यादा अपराध उनके पति ही करते हैं. पति के बाद उनके रिश्तेदार महिलाओं पर कहर ढाते हैं.

इस रिपोर्ट ने ये बात साफ़ कर दी है कि आज लकड़ियाँ या महिलाएं जो भी झेल रही हैं उसमें किसी और का हाथ नहीं है. सबसे बड़ा दुश्मन तो इनके घर के भीतर ही है. शादी के बाद महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा वारदात उनके पति ही कर रहे हैं. जिसके साथ वो ७ जन्म रहने की कसमें खाती हैं वही उनके सबसे बड़े दुध्मन हैं. महिलाओं को ये बात सुनकर बड़ी हैरानी होगी, लेकिन ये सच है. इसे झुठलाया नहीं जा सकता. ऐसे एक लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें पिछली बार की तुलना में बहुत बड़ा बदलाव नहीं है. वहीं दूसरे नंबर पर महिलाओं से रेप की कोशिश और अन्य शीरीरिक उत्पीड़न शामिल है, जिनकी संख्या 84 हज़ार है. इसमें घूरने के 932 और पीछा करने के 7 हज़ार से ज्यादा मामले सामने आए हैं.

लकड़ियाँर महिलाएं बाहर जाने से तो बच जाएंगी. वो गैर मर्दों की नज़रों से तो बच सकती हैं, लेकिन अपने हीर में छुपे दुश्मन से कैसे बच सकती हैं. भारत में ऐसे बहुत से गाँव हाँ जहाँ पर महिलाओं

को छोटी छोटी बात के लिए प्रताड़ित किया जाता है. उन्हें इस बात का एहसास दिलाया जाता है कि वो कुछ भी नहीं है. शहरों में भी ये मामले कम नहीं हैं. लकड़ी चाहे जॉब करे और घर का काम, लेकिन उसकी इज्ज़त एक बाई से ज्यादा कुछ नहीं होती. उसे लोग पैर की जूती ही समझते हैं.

सबसे ज्यादा हैरान करने वाले बात ये है कि जो लड़का प्यार करके अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करता है वो भी बाद में बदल जाता है. उसे इस बात का एहसास रह ही नहीं जाता कि वो कर क्या रहा है. भला ऐसे प्यारा की क्या ज़रुरत. इस तरह से लड़कियां कुंवारी ही रह जाए.

 

Shweta Singh

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