इतिहास

क्‍या तांत्रिक की वजह से डूबा था एयर इंडिया का सबसे शानदार विमान

एयर इंडिया के विमान को उड़ाने की साज़िश – 1 जनवरी, 1978 को रात के 8.15 पर मुंबई में सांताक्रूज़ हवाई अड्डे से एक आलीशान विमान दुबई के लिए रवाना हुआ था लेकिन वो अपनी मंजिल तक पहुंच नहीं पाया।

ये एयर इंडिया के मशहूर बोइंग 747 सीरीज़ की खेप का पहला विमान था।

मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक के नाम पर इस विमान का नाम रखा गया था – एंपरर अशोक।

उड़ान भरने के बाद विमान 8,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था और रात को 8.17 मिनट पर विमान के कॉकपिट से संपर्क किया गया था। ये बातचीत एक मिनट तक चली थी। बातचीत के दौरान ही धड़ाम से आवाज़ आई और खबर मिली कि एंपरर अशोका अरब सागर की ओर गिर रहा है। उड़ान भरने के महज़ तीन मिनट के अंदर 231 फुट का वो हवाई जहाज़ 213 लोगों को लेकर समूचे अरब सागर में समा गया।

इस विमान में 190 यात्री, 20 फ्लाइट अटेंडेंट, दो पायलट और एक फ्लाइट इंजीनियर था। सभी एकसाथ अरब सागर की गहराईयों में समा गए। 18 अप्रैल, 1971 को इस प्‍लेन ने मुंबई में पहली उड़ान भरी थी और 1 जनवरी, 1978 को मुंबई के ही आसमान ने इसे आखिरी बार उड़ते हुए देखा।

एयर इंडिया के विमान को उड़ाने की साज़िश – साजिश की वजह से हुआ हादसा

एयर इंडिया के विमान को उड़ाने की साज़िश –

इस विमान हादसे के बारे में इंटेलिजेंस ब्‍यूरो और नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी जांच में जुटे थे। जांच के बीच लोगों को ध्‍यान 28 दिसंबर को एयर इंडिया के लंदन ऑफिस में एक धमकी भरे फोन पर गया। फोन करने वाले व्‍यक्‍ति ने बीच हवा में ही विमान को उड़ाने की धमकी दी थी। उस समय एक बाबा या यूं कह लें कि तांत्रिक प्रभात रंजन सरकार को भारत के सातवें राष्‍ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इन बाबा को भारत के सबसे बड़े आधुनिक दार्शनिकों में गिना था।

इनके ज्ञान में थोड़ा तंत्र और थोड़ा वेद था। इन पर आरोप था कि प्‍लेन को उड़ाने में ही इन्‍हीं का हाथ था। वहीं प्‍लेन में मारे गए एक शख्‍स के रिश्‍तेदार ने कहा कि प्‍लेन में जो लोग नहीं गए थे उन्‍हें कॉल आया था कि प्‍लेन में ना जाएं वो उड़ने वाला है।

प्‍लेन की एक मशीन एडीआई में दिक्‍कत आ गई थी और उसे पायलट को गलत जानकार दी जिसकी वजह से पायलट ने विमान को गलत दिशा दे दी और प्‍लेन समुद्र में जा गिरा।

आलीशान था विमान

एयर इंडिया के विमान को उड़ाने की साज़िश – एयर इंडिया का ये विमान बहुत आलीशान था। इसके अंदर की दीवारों पर भारतीय शैली में कई मूर्तियां लगी थीं। इसकी ऊपरी मंजिल को राजसी बनाया गया था और फर्स्‍ट क्‍लास लाउंज में कालीन, सोफा, बार सब कुछ था। विमान के अलग-अलग हिस्‍सों में रंगीन वॉलपेपर लगे थे। कहीं पर फूलों की थीम थी तो कहीं पशु-पक्षियों की।

एयर इंडिया इसे आसमानी महल कहा करती थी। इसके लिए एयर होस्‍टेस को भी खास चुनकर रखा गया था। एयर होस्‍टेस इस प्‍लेन में घाघरा चोली में यात्रियों को सर्व किया करती थीं। इसका क्रैश होना बहुत बड़ी और दुखद खबर थी। इस हादसे के बाद भारतीय और नौसेना को तुरंत बचाव कार्य में लगाया गया लेकिन इसमें सवार एक शख्‍स भी जिंदा नहीं मिला। नौसेना के कर्मियों का कहना था कि समुद्र ने हवाई जहाज़ को समूचा निगल लिया वो भी पूरा 231 फुट का जहाज़।

Parul Rohtagi

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