वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था में आपातकाल शब्द सुनना ही अजीब सा लगता है.
वह भी अमेरिका जैसे देश में जो पूरी दुनिया में तानाशाही शासन के विरूद्ध मानवाधिकार को लेकर हमेशा मुखर रहता है.
अमेरिका के शार्लेट में एक अश्वेत व्यक्ति की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई. उसके बाद पूरे इलाके में ऐसी हिंसा फैली की वहां प्रशासन को आपातकाल स्थिति की घोषणा करनी पड़ी.
दरअसल, शार्लेट में 20 सितंबर को एक नीग्रो व्यक्ति कीथ लैमोंट स्कॉट की पुलिस अधिकारी की गोली से मौत हो गई थी. अगले दिन शहर में उसकी शोक सभा आयोजित की गई थी. लेकिन इस शोक सभा ने विरोध मार्च का रूप ले लिया और भीड़ हिंसक हो गई.
शोक सभा के दौरान आयोजित प्रार्थना में जुटे लोगों गोलीबारी में मारे गए 43 वर्षीय कीथ का वीडियो फुटेज जारी करने की मांग कर रहे थे लेकिन पुलिस ने इनकार कर दिया है. पुलिस का दावा था कि वो वहां किसी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी का वारंट लेकर गई थी. इस बीच हमने देखा कि स्कॉट अपनी कार से हैंडगन लेकर बाहर आ रहा है. हमने उसे बार बार चेतावनी दी कि वह अपनी बंदूक नीचे रख दे पर उसने हमारी चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया
जबकि स्कॉट के पड़ोसियों और प्रदर्शनकारियों का मानना है कि उसके हाथ में किताब थी ना कि कोई हथियार और वह वहां अपने बेटे को लेने के लिए स्कूल बस का इंतजार कर रहा था.
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रशासन के लिए काले लोगों की जिंदगी कोई मायने नहीं रखती है वह जब चाहे उन्हें हाथ ऊपर उठाने के लिए कहती है और गोलीमार देती है.
अमरीका के कई ऐसे शहर है जहां किसी अश्वेत व्यक्ति की मौत के बाद अक्सर हिंसा भड़क उठती है.
बताया जाता है कि लोगों के उग्र विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया जिसके बाद और अधिक हिंसा फैलने की आशंका थी. इसकेबाद घटना के बाद शहर में नस्ली तनाव भी पैदा हो गया है.
हालात अधिक खराब न हो इसलिए अमेरिका के नार्थ कैरालाइना राज्य के गवर्नर पैट मैकक्रोरी ने 21 सितंबर देर रात आपातकाल की घोषणा कर दी. उन्होंनेशॉर्लेट पुलिस प्रमुख के शहर में आपात स्थिति लागू करने का अनुरोध स्वीकार लिया है और शहर में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए नेशनल गार्ड और सैनिकों को बुलाया है.
पैट के अनुसार हमारे नागरिकों और पुलिस बल के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.