दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने एक बार एक चिट्ठी लिखी थी.
इस चिट्ठी में दुनिया के खात्मे का रहस्य छिपा हुआ है. आइंस्टाइन ने ये चिट्ठी अगस्त 1939 में लिखी थी. इस चिट्ठी के बारे में कहा जाता है कि दुनिया आज जिन न्यूक्लियर हथियारों के ढेर पर बैठी है उसकी बुनियाद कही ना कही ये चिट्ठी ही है. वैज्ञानिक आइंस्टाइन के दिए फार्मूले ‘थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी’ ने जहाँ दुनिया बदल दी थी वहीं उनकी लिखी इस चिट्ठी ने दुनिया को सबसे बड़े खतरे में भी डाल दिया है.
आइंस्टाइन हमेशा से ही युद्ध ना करने की वकालत करते रहे है और शांति में यकीन करते रहे है. लेकिन उनकी इस चिट्ठी ने सबको हैरान कर दिया था.
दरअसल ये बात दूसरे विश्व युद्ध से पहले की है जब पूरी दुनिया में तनाव जैसी स्थिति बनी हुई थी. तब आइंस्टाइन ने अमेरिका के तत्कालिक राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट को एक चिट्ठी लिखी थी.
आइंस्टाइन ने ये चिट्ठी 2 अगस्त 1939 को लिखी थी. राष्ट्रपति रूजवेल्ट को ये चिट्ठी 3 महीने बाद 11 अक्टूबर को मिली थी. इस चिट्ठी में आइंस्टाइन ने अमेरिका को परमाणु बम विकसित करने की सलाह दी थी. उन्होंने राष्ट्रपति रूज़वेल्ट को आगाह करते हुए बताया था कि जर्मनी न्यूक्लियर बम विकसित कर रहा है इसलिए अमेरिका को भी परमाणु बम बनाने की ओर अपने कदम बढ़ाने चाहिए.
लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये थी की आइंस्टाइन खुद भी जर्मनी के ही थे.
बाद में वैज्ञानिक आइंस्टाइन की सलाह को मानते हुए अमेरिका ने प्रोजेक्ट मैनहटन शुरू किया और परमाणु बम विकसित किये.
लेकिन आइंस्टाइन को परमाणु बम विकसित करने की अपनी इस भूमिका का अफ़सोस जिंदगी भर रहा. जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर 1945 में परमाणु बम गिराए तो ये दोनों शहर बर्बाद हो गए और लाखों लोगों की जाने चली गई. जापान के इन शहरों में बर्बादी का आलम ये रहा कि कई पीढ़ियों तक वहां पर अपंग बच्चे पैदा हुए और कुछ हद तक ये बर्बादी का आलम आज भी जारी है.
आइंस्टाइन हिरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लियर बम गिराए जाने से बहुत दुखी तो हुए लेकिन इस बर्बादी से आइंस्टाइन का नाम भी हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया.
ये थी आइंस्टाइन की सलाह – अमेरिका को देखते हुए बाद में और भी देशों ने अपने परमाणु बम विकसित किये. आज हालत ये है कि दुनिया के अलग-अलग देशों के पास इतने पामाणु बम हो गए है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हो तो एक ही झटके में पृथ्वी को बर्बाद किया जा सकता है और पृथ्वी से इंसानों और जीव का अस्तित्व ही ख़त्म किया जा सकता है.